Raavanpuja in Ayodhya: अयोध्या में आज हो रही रावण की पूजा, लगा भव्य मेला… इसके पीछे की वजह जानकार आप रह जायेंगे हैरान

भगवान राम की नगरी अयोध्या में हर दिन भगवन की पूजा होती है लेकिन हर साल एक बार ख़ास रूप से यमराज की पूजा का भी आयोजन किया जाता है। दीपावली के तीसरे दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया को यम द्वितीया का पावन पर्व मनाया जाता है।

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  • Publish Date - October 23, 2025 / 03:37 PM IST,
    Updated On - October 23, 2025 / 03:51 PM IST

Raavanpuja in Ayodhya / Image Source: MSN

HIGHLIGHTS
  • रामनगरी अयोध्या में यमराज की विशेष पूजा।
  • भय और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा में छुपा है रहस्य।
  • अयोध्या के यमथरा घाट पर दिखा अजीब सन्नाटा और भक्तों का हुजूम।

Raavanpuja in Ayodhya: भगवान राम की नगरी अयोध्या में हर दिन भगवान राम पूजा होती है लेकिन हर साल एक बार ख़ास रूप से यमराज की पूजा का भी आयोजन किया जाता है। दीपावली के तीसरे दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया को यम द्वितीया का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन सरयू नदी के किनारे यमथरा घाट पर यमराज की पूजा-अर्चना होती है। ये घाट यमराज की तपोस्थली माना जाता है जहां हजारों श्रद्धालु अपने भय और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए पूजा करते हैं।

यमथरा घाट पर लगा श्रद्धालुओं की भीड़

यम द्वितीया के दिन सुबह ही यमथरा घाट पर कई श्रद्धालुओं इकठ्ठा हो जाते हैं। लोग सरयू नदी में स्नान कर शुद्ध होते हैं और यमराज की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य के जीवन से भय दूर होता है और दीर्घायु भी प्राप्त होती है। भाई-बहन यहां व्रत रखकर अपने भाई-बहनों के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं। खासकर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा करती हैं।

प्राचीन मान्यताएं और धार्मिक महत्व

यमथरा घाट को भगवान यमराज की तपोस्थली माना जाता है। प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार ये जगह यमराज को माता अयोध्या ने दिया था। यमराज की पूजा करने से उनका क्रोध शांत होता है और वो भक्तों को भय से मुक्त करते हैं। इसी वजह से यम द्वितीया के दिन यहां बड़ा मेला लगता है।

दिवाली में मूर्ति विसर्जन की परंपरा

Raavanpuja in Ayodhya: यम द्वितीया के दिन दिवाली के त्यौहार में स्थापित की गई गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों को भी श्रद्धालु सरयू नदी में आ कर विसर्जित करते हैं। इससे माना जाता है कि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास हो।

श्रद्धालुओं ने की यमराज से आशीर्वाद की प्रार्थना

इस खास मौके पर श्रद्धालु यमराज की पूजा कर अपने जीवन के कष्टों, भय और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। वहां के श्रद्द्धालुओं ने बताया कि यमथरा घाट पर पूजा-अर्चना से मन को शांति मिलती है और आत्मबल मिलता है। कई लोग मानते हैं कि इस दिन की गई पूजा जीवन में सकारात्मकता लेकर आती है।

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यमद्वितीया पर्व कब मनाया जाता है?

यमद्वितीया कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाया जाता है, जो दीपावली के तीसरे दिन होता है।

यमथरा घाट की धार्मिक महत्ता क्या है?

यमथरा घाट को यमराज की तपोस्थली माना जाता है जहां यमराज की पूजा करने से भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

यमराज की पूजा का उद्देश्य क्या है?

यमराज की पूजा का मुख्य उद्देश्य अपने जीवन से भय, रोग और मृत्यु के डर को दूर करना और अपने परिवार के कल्याण व दीर्घायु की कामना करना होता है।