Bangladeshi Displaced News: विस्थापित परिवारों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक़.. हाई लेवल मीटींग में CM ने अफसरों को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह संवेदनशील पहल लंबे समय से उपेक्षित विस्थापित परिवारों के लिए नई आशा और सम्मानपूर्ण जीवन का द्वार खोल सकती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसे केवल पुनर्वास उपाय के रूप में नहीं, बल्कि "सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय दायित्व" के रूप में देखा जाना चाहिए।

  •  
  • Publish Date - July 21, 2025 / 03:05 PM IST,
    Updated On - July 21, 2025 / 03:06 PM IST

Bangladeshi Displaced News | Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • बांग्लादेशी विस्थापितों को मिलेगा कानूनी भूमि स्वामित्व अधिकार।
  • मुख्यमंत्री योगी ने दी संवेदनशील पुनर्वास पहल की दिशा।
  • प्रशासन से सहानुभूति और सम्मान के साथ कार्रवाई का निर्देश।

Bangladeshi Displaced News: लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित होकर राज्य के विभिन्न जिलों में बसे परिवारों को कानूनी भूमि स्वामित्व अधिकार देने के निर्देश जारी किए है।

READ MORE: Ratlam News: नकली नोट गिरोह का भंडाफोड़! सब्जी-फलों की दुकानों पर चला रहे थे 100-100 के नकली नोट, तीन आरोपियों को रंगे हाथों दबोचा

प्रशासन की नैतिक ज़िम्मेदारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल भूमि हस्तांतरण का मामला नहीं है, बल्कि उन हज़ारों परिवारों के जीवन संघर्षों को सम्मान देने का अवसर है, जिन्होंने राष्ट्रीय सीमा पार करके भारत में शरण ली है और दशकों से पुनर्वास का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से इन परिवारों के साथ सहानुभूति और सम्मान का व्यवहार करने का आग्रह किया और ज़ोर देकर कहा कि यह प्रशासन की नैतिक ज़िम्मेदारी है।

अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि विभाजन के बाद 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित हजारों परिवारों को पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जिलों में पुनर्वासित किया गया था।

CM को कराया गया अवगत

गौरतलब है कि, शुरुआत में, इन परिवारों को ट्रांजिट कैंपों के ज़रिए विभिन्न गाँवों में बसाया गया और ज़मीन आवंटित की गई। हालाँकि, क़ानूनी और रिकॉर्ड रखने संबंधी विसंगतियों के कारण, उनमें से ज़्यादातर को आज तक औपचारिक ज़मीन का मालिकाना हक़ नहीं मिल पाया है।

मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बिजनौर जैसे जिलों में इन विस्थापित परिवारों को कृषि भूमि आवंटित तो कर दी गई है, लेकिन अभिलेखों में लिपिकीय त्रुटियाँ, वन विभाग के अधीन भूमि का पंजीकरण, दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में देरी या वास्तविक कब्जे का अभाव जैसी प्रशासनिक और कानूनी जटिलताओं के कारण वे कानूनी मालिकाना हक से वंचित हैं। कुछ क्षेत्रों में, दूसरे राज्यों से आए विस्थापित परिवारों को भी बसाया गया है, जो अभी भी भूमि के मालिकाना हक से वंचित हैं।

वर्तमान स्थिति के अनुसार, जहाँ कई परिवारों ने वर्षों से खेती की जा रही ज़मीन पर पक्के घर बना लिए हैं, वहीं उनके नाम अभी तक आधिकारिक राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ गाँवों में मूल रूप से बसे परिवार अब वहाँ मौजूद नहीं हैं। कुछ मामलों में, बिना क़ानूनी प्रक्रिया अपनाए ज़मीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिससे मामला और जटिल हो गया है।

READ ALSO: Nag Nagini Viral Video: सावन में नाग-नागिन का वायरल प्रेम दर्शन! आधे घंटे तक दिखा अद्भुत नज़ारा, लोग बोले- ये तो चमत्कार है

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जिन मामलों में पहले सरकारी अनुदान अधिनियम के तहत भूमि आवंटित की गई थी, उनमें वर्तमान कानूनी ढांचे के भीतर कानूनी विकल्प तलाशे जाने चाहिए, क्योंकि यह अधिनियम 2018 में निरस्त कर दिया गया था। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह संवेदनशील पहल लंबे समय से उपेक्षित विस्थापित परिवारों के लिए नई आशा और सम्मानपूर्ण जीवन का द्वार खोल सकती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसे केवल पुनर्वास उपाय के रूप में नहीं, बल्कि “सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय दायित्व” के रूप में देखा जाना चाहिए।

प्रश्न 1: बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से विस्थापित परिवार कौन हैं?

उत्तर: ये वे परिवार हैं जो 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत में आए थे और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुनर्वासित किए गए थे।

प्रश्न 2: इन विस्थापितों को अब तक कानूनी ज़मीन स्वामित्व क्यों नहीं मिला?

उत्तर: क़ानूनी रिकॉर्ड की त्रुटियाँ, वन विभाग की ज़मीन, दाखिल-खारिज में देरी और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण ज़्यादातर परिवारों को अब तक मालिकाना हक़ नहीं मिल पाया।

प्रश्न 3: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में क्या निर्देश दिए हैं?

उत्तर: उन्होंने विस्थापित परिवारों को कानूनी भूमि स्वामित्व देने के लिए कानूनी विकल्प खोजने और मानवीय दृष्टिकोण से समाधान निकालने के निर्देश दिए हैं।