Swami Prasad Maurya Replied to akhilesh yadav
लखनऊ: राष्ट्रीय शोसित समाज पार्टी के नाम पर नया दल बनाने वाले पूर्व समाजवादी और दलित नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पूर्व सीएम और सपा मुखिया अखिलेश यादव को आंख दिखाई हैं। उन्होंने अखिलेश के “पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया” के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा की उनकी हैसियत नहीं कि वह मुझे कुछ दे सके।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बारे में न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा “उनकी सरकार न तो केंद्र में है और न ही प्रदेश में है, कुछ देने की हैसियत में नहीं है। उन्होंने जो भी दिया है वह मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा। मेरे लिए पद नहीं विचार मायने रखता है। अखिलेश यादव की कही हुई बात उन्हें मुबारक”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि “22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा और उसी दिन फैसला सुनाया जाएगा। जब संगठन में ही भेदभाव है, एक राष्ट्रीय महासचिव का हर बयान निजी हो जाता है। जब पद में ही भेदभाव है और मैं भेदभाव के खिलाफ ही लड़ाई लड़ता हूं तो ऐसे पद पर रहने का औचित्य क्या है? इसलिए सारे विवरण का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष को 13 तारीख को इस्तीफे का पत्र भेजा था, उन्होंने बात करना मुनासिब नहीं समझा इसलिए मैं कदम आगे बढ़ा रहा हूं। अब कार्यकर्ता तय करेंगे कि उन्हें क्या करना है।”
#WATCH समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “…उनकी सरकार न तो केंद्र में है और न ही प्रदेश में है, कुछ देने की हैसियत में नहीं है। उन्होंने जो भी दिया है वह मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा। मेरे लिए पद नहीं विचार… pic.twitter.com/n2XCyPzng7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 19, 2024
गौरतलब हैं कि आपत्तिजनक और भड़काऊं बयानों के लिए सुर्ख़ियों में रहने वाले पूर्व मंत्री और दलित नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने समाजवादी पार्टी के महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था तो वही आज उन्होंने नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर सबको चौंका दिया हैं। स्वामी प्रसाद ने अपने पार्टी का झंडा भी सामने रखा हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रतिनिधि कार्यकर्ता सम्मलेन को संबोधित करेंगे। गौरतलब हैं कि मौर्या ने 13 फरवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेटर लिखकर सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया था। उनके इस फैसले पर अखिलेश यादव ने निशाना भी साधा था।