लखनऊ, 26 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि माघ मेला केवल आस्था का आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा, सामाजिक अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता का सजीव उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि मेले में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित वातावरण उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को यहां अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रयागराज में आयोजित होने वाले माघ मेला-2026 की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा के बाद कहा कि संगम पर कल्पवास, स्नान और साधना की परंपरा भारतीय सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है। इस वर्ष 15 से 25 लाख श्रद्धालु केवल कल्पवासी होंगे।
राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, महाकुम्भ के सुव्यवस्थित आयोजन के बाद माघ मेला-2026 को लेकर देश और दुनिया में विशेष उत्साह है। यह मेला समाज को संयम, समरसता और सेवा का संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ समयबद्ध ढंग से कार्य पूर्ण करें। माघ मेला-2026 ऐसा आयोजन बने, जिसमें आस्था, सुरक्षा, स्वच्छता, नवाचार और संवेदनशील प्रशासन सभी का संतुलित और प्रभावी स्वरूप दिखायी दे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि व्यवस्थाओं में आध्यात्मिक गरिमा बनी रहे, लेकिन किसी भी स्तर पर अव्यवस्था या असुविधा न हो। उन्होंने गृह विभाग को निर्देश दिए कि प्रमुख स्नान पर्वों पर किसी तरह का वीआईपी प्रोटोकॉल ना दिया जाए, इस सम्बन्ध में आवश्यक सूचना जारी की जाए।
बैठक में प्रयागराज की मंडलायुक्त ने बताया कि माघ मेला-2026 का आयोजन तीन जनवरी से 15 फरवरी, 2026 तक कुल 44 दिनों तक होगा। इस दौरान पौष पूर्णिमा, मकर संक्रान्ति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसे प्रमुख स्नान पर्व पड़ेंगे। पूरे मेला काल में 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जबकि मौनी अमावस्या जैसे प्रमुख पर्व पर एक ही दिन में साढ़े तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम स्नान की सम्भावना के दृष्टिगत व्यवस्थाएं उसी अनुरूप की जा रही हैं।
बैठक में यह भी अवगत कराया गया कि मेला क्षेत्र का विस्तार बढ़ाकर लगभग 800 हेक्टेयर किया गया है। सेक्टरों की संख्या पांच से बढ़ाकर सात कर दी गई है। स्नान घाटों की कुल लंबाई में पिछले माघ मेले की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
भाषा
राजेंद्र रवि कांत