भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जारी अटकलें इस सप्ताहांत हो जाएंगी समाप्त

भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जारी अटकलें इस सप्ताहांत हो जाएंगी समाप्त

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 07:59 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 07:59 PM IST

लखनऊ, 12 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष को लेकर जारी ‘अनिश्चितता के बादल’ इस सप्ताहांत छंटने की संभावना है। केंद्रीय नेतृत्व रविवार को नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेगा। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि शनिवार तक ही स्थिति बहुत हद तक स्पष्ट हो जाएगी।

भाजपा के प्रदेश निर्वाचन अधिकारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि निर्वाचित नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा रविवार को केंद्रीय चुनाव अधिकारी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। डॉक्टर पांडेय ने प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया की समय सारिणी और मतदान के लिए अधिकृत प्रदेश परिषद के 425 सदस्यों की सूची जारी की।

निर्वाचन प्रक्रिया की समय सारिणी के अनुसार शनिवार (13 दिसंबर) को दोपहर दो बजे से तीन बजे के बीच प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल होगा। शनिवार को ही अपराह्न तीन बजे से चार बजे तक नामांकन पत्रों की जांच होगी और शाम चार बजे से पांच बजे के बीच नामांकन पत्रों की वापसी होगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अगर जरूरी हुआ तो 14 दिसंबर, रविवार को प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान होगा और इसी दिन प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की घोषणा कर दी जाएगी।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सत्तारूढ़ भाजपा के उप्र जैसे बड़े राज्‍य के अध्यक्ष का निर्वाचन आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत किया जाएगा और इसमें जातीय, क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा।

कई नामों को लेकर जारी अटकलों के बीच भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”केंद्रीय नेतृत्व का फैसला चौंकाने वाला हो सकता है। वैसे भी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और संगठन में नेतृत्व को लेकर हमेशा चौंकाने वाले फैसले आते रहे हैं, इसलिए कोई दावा नहीं किया जा सकता।”

हालांकि, पार्टी सूत्रों और वरिष्ठ नेताओं से मिल रही जानकारी के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नए नाम भी उभर कर सामने आए हैं। इनमें सबसे नया नाम केंद्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री और महराजगंज संसदीय क्षेत्र से सातवीं बार सांसद बने पंकज चौधरी का है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कुर्मी जाति से आने वाले पंकज चौधरी प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भरोसेमंद माने जाते हैं।

पूरे उत्तर प्रदेश में ओबीसी वर्ग में कुर्मी बिरादरी का खासा दबदबा है और 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनावों में कुर्मी बिरादरी ने राज्‍य के मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति अपना झुकाव प्रदर्शित किया था। इनके अलावा कुर्मी समाज से ही आने वाले जल शक्ति मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत कई नाम चर्चा में है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अब तक तीन बार कुर्मी बिरादरी के नेताओं को प्रदेश अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी दी है जिनमें पूर्व सांसद विनय कटियार, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह और जल शक्ति मंत्री स्‍वतंत्र देव सिंह शामिल हैं।

वहीं, ओबीसी वर्ग से दिवंगत प्रमुख नेता कल्याण सिंह की लोध बिरादरी से आने वाले उप्र सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा को भी प्रमुख दावेदार बताया जा रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि प्रदेश में व्यापक जनाधार वाली इस बिरादरी में कल्‍याण सिंह के अलावा किसी अन्य नेता को उप्र भाजपा का अध्यक्ष बनने का अवसर अब तक नहीं मिला।

इनके अलावा मछुआरा (निषाद) समाज से आने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य बाबूराम निषाद को भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है।

इन सबके बीच अध्यक्ष पद के लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद के नाम को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। चूंकि 2017 में उनके भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और सहयोगी दलों को 403 सीटों में 325 सीटों पर विजय श्री मिली, इसलिए उन्हें प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।

ब्राह्मण समुदाय से कई नाम भी चर्चा में हैं इनमें उप मुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल, पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा और विजय बहादुर पाठक शामिल हैं।

दलित नेताओं में भाजपा के पूर्व महामंत्री विद्यासागर सोनकर, 2017 से पहले बसपा छोड़कर आये पूर्व सांसद जुगल किशोर, पूर्व सांसद विनोद सोनकर जैसे कई अन्य नाम हैं, जिन्हें प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल माना जा रहा है।

हालांकि भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि ”सारी अटकलबाजी बेकार है, अध्यक्ष पद के लिए नामांकन होने के बाद ही कुछ कयास लगाए जा सकते हैं।”

उन्‍होंने कहा कि पार्टी की यही कोशिश होगी कि प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन निर्विरोध हो लेकिन चूंकि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों को प्राथमिकता देती है, इसलिए कोई दबाव नहीं रहेगा।”

भाषा आनन्द पवनेश नरेश

नरेश