लखनऊ, 11 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध व्यापार से जुड़े संगठित गिरोह में कथित तौर पर शामिल 10 से अधिक प्रमुख संदिग्धों की पहचान कर इस मामले में अब तक 133 प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
इस मामले की जांच राज्य सरकार द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) एल आर कुमार के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है।
बृहस्पतिवार की शाम जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार का नेतृत्व संभालने के बाद से ही अवैध नशे के सौदागरों के खिलाफ जंग छेड़ दी।
इसमें कहा गया है कि योगी की मंशा के अनुसार वर्ष 2022 में एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स) का गठन किया गया। इसी क्रम में योगी सरकार के निर्देश पर एफएसडीए ने कोडीन युक्त कफ सिरप एवं एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध व्यापार और डायवर्जन के खिलाफ अभियान चलाया।
विभाग ने यह अभियान शुरू करने से पहले अंदरुनी गहन जांच शुरू की। विभाग ने झारखंड, हरियाणा, हिमाचल जैसे राज्यों में विवेचना की और उत्तर प्रदेश के सुपर स्टॉकिस्ट एवं होलसेलर के साथ उनके कारोबारी रिश्तों के सबूत जुटाए।
इन सब प्रक्रियाओं के बाद दो माह पहले विभाग ने कार्रवाई शुरू की, जो अब भी जारी है।
बयान में कहा गया है कि दो माह में विभाग ने प्रदेश भर में छापेमारी कर 31 जिलों में 133 कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी। इनमें फर्मों के आधा दर्जन से अधिक संचालकों को जेल भी भेजा जा चुका है।
योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने कोडीन युक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जो पूरे देश में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
एफएसडीए सचिव और आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के युवाओं को नशे के आगोश में धकेलने वालों से सख्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिये थे। ऐसे में सीएम योगी ने निर्देश पर प्रदेश भर में कोडीन युक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वाले अपराधियों के खिलाफ वृहद स्तर पर अभियान चलाने की योजना बनायी गयी, जो अभी तक जारी है।
बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के 52 जिलों में 332 औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों के दस्तावेज और भंडारण की जांच की गयी। जांच में सामने आया कि कई औषधि प्रतिष्ठान अस्तित्व में हीं नहीं हैं बल्कि केवल बिलिंग प्वाइंट के रूप में काम किया जा रहा था। इसके अलावा कई प्रतिष्ठानों में पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था नहीं थी। साथ ही औषधियों के क्रय-विक्रय के अभिलेख भी नहीं पाए गए।
उन्होंने बताया कि जांच में 332 औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों में से 133 प्रतिष्ठानों द्वारा संगठित रूप से इन औषधियों का गैर चिकित्सकीय उपयोग के लिए अवैध डायवर्जन कर नशे के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा है।
इसके पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि “जांच में अब तक 10 से अधिक लोगों की पहचान हुई है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे कई जिलों और राज्यों में सक्रिय मुख्य साजिश का हिस्सा हैं। सबूतों से पता चलता है कि इसमें निर्माताओं, वितरकों, ट्रांसपोर्टरों और स्थानीय संचालकों का एक सुनियोजित नेटवर्क शामिल है।’’
उन्होंने बताया कि पहचाने गए लोगों को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर छापेमारी जारी है, वहीं जांचकर्ता वित्तीय लेनदेन, अंतरराज्यीय संबंधों और कानूनी रूप से निर्मित कफ सिरप की अवैध बाजार में संभावित तस्करी की भी जांच कर रहे हैं।
अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अन्य राज्यों में कोडीन युक्त कफ सिरप के दुरुपयोग से संबंधित घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है और निर्देश दिया है कि पद या प्रभाव की परवाह किए बिना, इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।’’
भाषा किशोर आनन्द राजकुमार रंजन
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