लखनऊ, 17 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने सोमवार को विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को राज्य में विभिन्न धार्मिक आयोजनों में मौजूद लोगों के बारे में सतर्कता और खुफिया जानकारी जुटाने के निर्देश दिये।
आधिकारिक बयान के मुताबिक सभी पुलिस आयुक्तों, अपर महानिदेशकों, क्षेत्रीय महानिरीक्षकों, उप महानिरीक्षकों और जिला पुलिस प्रमुखों को निर्देश जारी किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार यह कदम राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की उन रिपोर्टों के मद्देनजर उठाया गया है, जिनमें संकेत दिया गया है कि अपराधी अक्सर अपराध करने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल करते हैं।
कई मामलों में, दुर्दांत अपराधियों ने पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए ऐसे आयोजनों का इस्तेमाल किया है।
इसके मद्देनजर डीजीपी कुमार ने निर्देश दिया है कि पुलिस को धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के लिए विभिन्न जिलों और राज्यों से आने वाले व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
एसटीएफ के निष्कर्षों से पता चला है कि कुछ अपराधी पकड़े जाने से बचने के लिए इन समारोहों में शरण लेते हैं।
डीजीपी ने शामली जिले में एक मुठभेड़ में पुलिस निरीक्षक सुनील कुमार के शहीद होने की घटना का भी जिक्र किया। बाद में इस घटना की जांच में पता चला था कि आरोपियों ने पुलिस से बचने के लिए धार्मिक सभाओं का इस्तेमाल किया था।
डीजीपी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्तियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जिला खुफिया इकाइयों और सोशल मीडिया निगरानी प्रकोष्ठों को सक्रिय किया जाना चाहिए। स्थानीय पुलिस इकाइयों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान करने के लिए बारीकी से समन्वय करना चाहिए।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अधिकारियों को उपस्थित लोगों का विस्तृत रिकॉर्ड एकत्र करने के लिए कार्यक्रम आयोजकों के साथ संपर्क करना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर कानून प्रवर्तन के लिए ऐसी जानकारी उपलब्ध हो। धार्मिक समारोहों में उपस्थित लोगों का एक रजिस्टर बनाया जाना चाहिए जिसमें उनका विवरण, आधार कार्ड जैसी वैध पहचान सहित दर्ज हो।
पुलिस अधिकारियों को इन उपायों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
भाषा
सलीम, रवि कांत रवि कांत