65 PERCENT INSECTS OF THE EARTH MAY BECOME EXTINCT WHICH IS VERY DANGEROUS FOR HUMANS

पृथ्वी के लिए खतरे की घंटी, जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो सकते हैं दुनिया के 65% कीड़े, इंसानों पर बड़ा प्रभाव

Climate Change Earth insects: बहुत जल्द पृथ्वी से 65% कीड़े विलुप्त हो सकते हैं। जो इंसानों के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : November 16, 2022/12:06 am IST

Climate Change Earth insects: जलवायु परिवर्तन से जुड़ा एक चौंका देने वाली स्टडी सामने आई है। स्टडी में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का यही हाल रहा तो जल्द ही पृथ्वी से 65 प्रतिशत कीड़े विलुप्त हो जाएंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि कीड़ों का विलुप्त होना कैसे बुरी खबर है? कीड़ों के गायब होने से पृथ्वी पर अनंत काल से जारी संतुलन बिगड़ सकता है। इसका गंभीर प्रभाव इंसानों पर भी पड़ सकती है। आइये आपको बताते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से.

क्लाइमेट चेंज है घातक

हमारे जीवन में कीड़े हमेशा परेशानी की ही वजह माने जाते हैं। लेकिन संपूर्ण फाइलम आर्थ्रोपोडा (सिर्फ क्रिटर्स को समूहीकृत करने वाला एक वैज्ञानिक शब्द) एक नाजुक संतुलन का हिस्सा है। इसके प्रभावित होने से पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ेगा। कीड़े भले ही हमें परेशान करते हैं लेकिन वे फसलों के लिए बेहद जरूरी हैं। ये कीड़े हमारे लिए खाद्य पदार्थ उगाने में मदद करते हैं। पृथ्वी पर हमारी निरंतर उपस्थिति के लिए कीड़े सीधे तौर पर जरूरी हैं।

..तो 65 प्रतिशत कीड़े हो जाएंगे विलुप्त

लेकिन जलवायु परिवर्तन न केवल हमारे लिए बल्कि कीड़ों के लिए भी समस्याएं पैदा कर रहा है। स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 65 प्रतिशत कीड़े विलुप्त हो सकते हैं। यह स्टडी वैज्ञानिक पत्रिका नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुई है। स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण कीटों की जिन 38 प्रजातियों का अध्ययन किया गया उनमें से 65 प्रतिशत पर अगले 50 से 100 वर्षों में विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है।

इन कीड़ों की प्रजातियों पर खतरा

ठंडे खून वाले कीड़े जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके पास बदलते बाहरी तापमान के अनुसार अपने शरीर के तापमान को बदलने की क्षमता नहीं होती। अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस अनुसंधान का समर्थन किया है। नासा के एम्स रिसर्च सेंटर के एक पूर्व पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता डॉ केट डफी ने कहा कि हमें यह समझने के लिए एक मॉडलिंग टूल की आवश्यकता थी कि तापमान में बदलाव से कीट आबादी कैसे प्रभावित होगी।