Ramadan Iftar Time Today / Image Credit: Pixabay
सिडनी। Ramadan Roza Health: जिस तरह हिंदू धर्म में तीज-त्योहार और व्रत का महत्व होता है। ठीक उसी प्रकार मुस्लिम धर्म में रमजान का बहुत ही खास महत्व है। रमजान का महीना इस्लामिक धर्म के लिए बहुत ही पाक माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के पवित्र माह के दौरान ही पैगंबर मोहम्मद को अल्लाह से कुरान की आयतें प्राप्त हुई थी। कहा जाता है कि रमजान में रोजा रखने से व्यक्ति का तन और मन दोनों पवित्र होते है। अल्लाह के करम से जीवन में बरकत आती है। वहीं इस साल रमजान की शुरूआत 28 फरवरी से शुरू होने की उम्मीद है। क्योंकि यह चांद दिखने पर ही निर्भर करता है। रमजान का नया चांद दिखाई देने के बाद ही रमजान की शुरुआत होती है।ऐसे में अगर 28 फरवरी को रमजान दिखता है, तो 1 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।
इस पाक महीने में दुनियाभर की करीब दो अरब मुस्लिम आबादी रोज़ा रखती है जिस दौरान तड़के सूरज निकलने से पहले होने वाली फज्र की नमाज़ और शाम में सूरज डूबते ही होने वाली मगरीब की नमाज़ के बीच के वक्त में रोज़ा रखने वाले समुदाय के सदस्य कुछ खाते-पीते नहीं हैं। रमज़ान का मतलब है मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करना और आत्म-संयम का अभ्यास करना। यह आध्यात्मिक विकास और ईश्वर (या अरबी में अल्लाह) के प्रति समर्पण का वक्त है। रमज़ान लोगों को दावतों के जरिए भी साथ लाता है, जिसका मकसद वंचित लोगों की मदद करना है।
रमज़ान में रोज़े (व्रत) की अवधि 12 से 19 घंटे के बीच हो सकती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं। इस अवधि के दौरान रोज़ेदार कुछ खाते-पीते नहीं हैं। हमारा शोध बताता है कि संतुलित, पोषक तत्वों से भरपूर खुराक और पेय पदार्थ चुनने से रमज़ान के दौरान आप सामान्य आहार की तुलना में स्वास्थ्य पर बेहतर तरीके से ध्यान दे सकते हैं और अधिक ऊर्जा स्तर प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप रमज़ान में रोज़ा रख रहे हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Ramadan Roza Health: सेहतमंद मुसलमानों से अपेक्षा की जाती है कि वे युवावस्था में पहुंचने के बाद रमज़ान के दौरान रोज़ा रखें। अगर रोज़ा रखने से सेहत को खतरा हो तो पुरानी बीमारी या मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों को रोज़े रखने से छूट मिल सकती है। अगर आप मधुमेह, हृदय रोग या किडनी की समस्या जैसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं और रोज़ा रखना चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। कुछ खास बीमारियों से पीड़ित लोगों और दवाइयों पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए रोज़ा रखना गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम की वजह बन सकता है। कुछ दवाओं को सुरक्षित और प्रभावी होने के लिए एक खास समय पर (और कुछ को भोजन के साथ) लेने की ज़रूरत होती है। अगर आप रमज़ान के दौरान पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो आपका शरीर कुछ दवाओं पर अलग तरह से प्रतिक्रिया दे सकता है, हो सकता है कि वे उतनी अच्छी तरह से काम न करें या दुष्प्रभाव पैदा करें। सुरक्षित रूप से रोज़ा रखने के लिए रमज़ान के दौरान यहां पांच सुझाव दिए गए हैं।
रमज़ान की तैयारी में, ज़रूरी चीज़ें जमा करके रखें। आपको क्या और कैसे खाना है और कितना पानी पीना है इसकी योजना पहले से बना लें, ताकि आपको पोषण की मात्रा का पूरा ध्यान रहे। रमज़ान से पहले के हफ़्ते में धीरे-धीरे कैफ़ीन का सेवन कम करना शुरू करें, ताकि आपका शरीर इसके लिए तैयार हो सके। इससे रमज़ान के शुरुआती रोज़ों में होने वाले सिरदर्द को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है। अपने भोजन को धीरे-धीरे सहरी (सुबह सूरज निकलने से पहले किए जाने वाला भोजन) और इफ्तार (रोज़ा तोड़ने का वक्त) के समय की ओर ले जाएं, ताकि आपका शरीर भोजन करने के नए समय के लिए अभ्यस्त हो जाए।
रोज़े के दौरान शरीर को पानी की कमी न होने देना अहम है। महिलाओं को प्रतिदिन 2.1 लीटर पानी या तरल पदार्थ (जैसे नारियल पानी, सूप, शोरबा या हर्बल चाय) पीने का लक्ष्य रखना चाहिए। पुरुषों को 2.6 लीटर पेय पदार्थ पीने का लक्ष्य रखना चाहिए। मीठे या कृत्रिम रूप से मीठे पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें और ताजे फलों के रस का आनंद केवल संयमित रूप से लें। मीठे पेय पदार्थ रक्त में शर्करा के स्तर में तेज़ी से वृद्धि करते हैं। शरीर इंसुलिन जारी करके प्रतिक्रिया करता है, जिससे रक्त शर्करा में गिरावट आती है और इससे आपको थकावट, चिड़चिड़ापन और भूख लग सकती है। अपने आहार में खीरा और तरबूज़ जैसे पानी से समृद्ध खाद्य पदार्थों को शामिल कर अपने शरीर में पानी की स्थिति को बनाए रखें।
सूर्योदय से पहले, सहरी के वक्त पोषक तत्वों से भरपूर, धीरे-धीरे पचने वाला भोजन लें, साथ ही खूब सारा पानी पिएं। मांस, मछली, छोले, टोफू, मेवे और बीजों से प्रोटीन और वसा युक्त स्वस्थ पोषक तत्वों से भरपूर भोजन चुनें साबुत अनाज, विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फल और अचार आदि का सेवन करें, जो आपकी पाचनशक्ति की सहायता कर सकते हैं। जब आप अपना भोजन तैयार करें, तो डीप फ्राई करने के बजाय ग्रिलिंग, स्टीमिंग या एयर फ्राई करने पर विचार करें। केक, आइसक्रीम, चिप्स और चॉकलेट जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से दूर रहें, क्योंकि इनमें अक्सर आवश्यक पोषक तत्वों की कम होती है और इनमें चीनी, नमक और वसा की मात्रा अधिक होती है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा भी कम होती है, जो पेट भरे होने का एहसास बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी हैं।
मुस्लिम अपने परिवार और दोस्तों के साथ शाम में इफ्तार करते हैं। इस वक्त मिठाई, नमकीन स्नैक्स और वसायुक्त व्यंजनों का अधिक सेवन करने की इच्छा हो सकती है। लेकिन अधिक भोजन करने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ सकता है, असुविधा हो सकती है और नींद में बाधा आ सकती है। किसी हल्की चीज़ से शुरुआत करें, जैसे कि खजूर और एक गिलास पानी से। आप अपने मुख्य भोजन और अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने से पहले मगरिब की नमाज़ अदा कर सकते हैं।
अंत में, अपनी फिटनेस और मांसपेशियों को बनाए रखने और अच्छी नींद के लिए अपने कार्यक्रम में कुछ हल्के व्यायाम को शामिल करने का प्रयास करें। मगर भारी कसरत करने से बचें।