कोवैक्सीन, स्पूतनिक-V लगवा चुके लोगों को दोबारा टीका लगवाने के निर्देश.. भारत की वैक्सीन को असरदार नहीं मानता अमेरिका?

कोवैक्सीन, स्पूतनिक-V लगवा चुके लोगों को दोबारा टीका लगवाने के निर्देश.. भारत की वैक्सीन को असरदार नहीं मानता अमेरिका?

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  • Publish Date - June 6, 2021 / 04:04 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

नई दिल्ली। अमेरिका में कोवैक्सीन की डोज ले चुके लोगों को दोबारा अन्य वैक्सीन लेने को कहा गया है। अमेरिका में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पूतनिक-वी टीका लगवाने वाले कॉलेज छात्रों को दोबारा टीकाकरण करवाने का निर्देश दिया गया है। ये दोनों कोविड टीके क्रमश: भारत और रूस में विकसित किए गए हैं। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फिलहाल इनके इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी है।

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देसी टीका कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि उसे कोरोना के अपने टीके कोवैक्सीन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुलाई-सितंबर तक इमरजेंसी इस्तेमाल मंजूरी (ईयूए) मिलने की उम्मीद है। कंपनी ने कहा कि कोवैक्सीन के लिए 60 से अधिक देशों में नियामकीय मंजूरी प्रक्रिया में है, जिसमें अमेरिका, ब्राजील, हंगरी जैसे देश शामिल हैं। इसने एक बयान जारी कर कहा, ”ईयूए के लिए आवेदन डब्ल्यूएचओ-जिनेवा को सौंप दिया गया है, नियामकीय मंजूरी जुलाई-सितंबर 2021 तक मिलने की उम्मीद है।” टीका निर्माता ने कहा कि इसे 13 देशों में ईयूए हासिल हो गया है और अन्य कई अन्य देशों में मिलने की उम्मीद है। अधिकतर देशों ने कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण की अनुशंसा की है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 के लिए अपने कोवैक्सीन टीके को आपात उपयोग वाली सूची में शामिल कराना चाह रही भारत बायोटेक से और अधिक जानकारी प्राप्त करने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर 18 मई को जारी डब्ल्यूएचओ की ईयूएल मूल्यांकन प्रक्रिया में कोविड-19 टीकों की स्थिति पर ताजा दिशा-निर्देश रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बायोटेक ने 19 अप्रैल को ईओआई जमा किया था तथा उससे अभी और जानकारी चाहिए।

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीकों के इमरजेंसी इस्तेमाल की प्रक्रिया के लिए सूचीबद्ध करने के लिहाज से अनुमति देने के आवेदन गोपनीय होते हैं। एजेंसी के अनुसार, यदि मूल्यांकन के लिए जमा किया गया कोई दस्तावेज सूची में शामिल करने के मानदंड को पूरा करता पाया जाता है तो डब्ल्यूएचओ व्यापक परिणाम जारी करेगा।

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‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक अमेरिका में मार्च से लेकर अब तक 400 से अधिक कॉलेज और विश्वविद्यालय घोषणा कर चुके हैं कि शीत सत्र में शामिल होने के लिए छात्रों का कोविड टीकाकरण करवाना अनिवार्य होगा, वो भी डब्ल्यूएचओ की मंजूरी पा चुके टीकों से। यह आदेश अमेरिकी संस्थानों में दाखिला लेने वाले उन भारतीय और रूसी छात्रों के लिए मुश्किल का सबब बन गया है, जिन्होंने कोवैक्सीन या स्पूतनिक-वी की जरूरी खुराक ले रखी है। 25 वर्षीय भारतीय छात्रा मिलोनी दोशी भी इन्हीं में से एक हैं।

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मिलोनी ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में दाखिला लिया है। उन्हें भारत में कोवैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी है। हालांकि, अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी परिसर में पहुंचकर उन्हें दूसरी वैक्सीन लगवानी होगी। अन्य अमेरिकी संस्थानों ने भी कोवैक्सीन और स्पूतनिक-वी लगवाने वाले छात्र-छात्राओं को कुछ ऐसा ही फरमान जारी किया है। छात्र दो अलग-अलग वैक्सीन से होने वाले संभावित दुष्प्रभावों को लेकर बेहद चिंतित हैं।