कोई विपक्षी नेता मोदी की ऊर्जा का मुकाबला नहीं कर सकता: भारतीय अमेरिकी कारोबारी

कोई विपक्षी नेता मोदी की ऊर्जा का मुकाबला नहीं कर सकता: भारतीय अमेरिकी कारोबारी

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  • Publish Date - May 16, 2024 / 08:35 AM IST,
    Updated On - May 16, 2024 / 08:35 AM IST

वाशिंगटन, 16 मई (भाषा) अमेरिका में भारतीय मूल के एक जानेमाने समाजसेवी और कारोबारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एकमात्र नेता हैं जो अपने चुनावी भाषणों में भारत के भविष्य की बात कर रहे हैं और विपक्षी खेमे में कोई नेता उनकी ऊर्जा और सक्रियता का मुकाबला नहीं कर सकता।

भारतीय अमेरिकी कारोबारी सुरेश वी शिनॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयां छू रही है और इसके साथ देश में अवसर ही अवसर हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्र शिनॉय ने कहा, ‘‘मैं भारत के चुनावों में देख पा रहा हूं कि मोदी ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो भविष्य की बात कर रहे हैं। वह बात कर रहे हैं कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे करना है।’’

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘मैं कोई हिंदूवादी व्यक्ति नहीं हूं। मुझे लगता है कि यह तो राजनीतिक चर्चा का विषय है। लेकिन भारत ने पिछले 10 साल में आर्थिक स्तर पर जो उपलब्धि हासिल की हैं, उन्हें देखिए। ये असाधारण हैं। वे अब दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।’’

शिनॉय ने कहा कि भारत में अब भी 80 करोड़ लोग हैं जिन्हें अवसरों की जरूरत है और जिनकी आकांक्षाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, भारत को एक बड़ी आबादी के लिए अवसर पैदा करते रहने होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अवसरों और भविष्य की बात हो रही है और कैसे इनका लाभ उठाना है, यह बात हो रही है। अमेरिका में यह बात होती है कि हमारे पास समृद्धि है, हमारे पास वैश्विक नेतृत्व है और इसे कैसे बनाकर रखना है?’’

शिनॉय ने कहा कि अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों में कितने राजनीतिक भाषणों में लोगों ने यह बात सुनी है कि 2020, 2028 या 2032 में जीवनस्तर कैसा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत कम में। वे केवल आज की बात कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप नेता हैं तो आपको आज से 10 साल बाद की तस्वीर प्रस्तुत करनी होगी। भारतीय राजनीति में अन्य कुछ (विपक्षी) नेता इस तरह का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे लड़खड़ा रहे हैं क्योंकि वे मोदी की ऊर्जा और सक्रियता का मुकाबला नहीं कर पा रहे।’’

भाषा वैभव

वैभव