PM Modi emphasized on these 5 principles | in the open debate of the S C

पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद की ओपन डिबेट में इन 5 सिद्धांतों पर दिया जोर, कहा- समुद्र दुनिया की साझा विरासत

प्रधानमंत्री का सुरक्षा परिषद की खुली परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए पांच सिद्धांतों पर जोर PM Modi emphasized on these 5 principles in the open debate of the Security Council Said- sea is the shared heritage of the world

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : August 9, 2021/9:43 pm IST

संयुक्त राष्ट्र, नौ अगस्त।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को समुद्री सुरक्षा बढ़ाने और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय खुली परिचर्चा की अध्यक्षता की। इस दौरान, प्रधानमंत्री ने समुद्री व्यापार और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विवादों के शांतिपूर्ण समाधान समेत समावेशी समुद्री सुरक्षा रणनीति के लिए पांच सिद्धांत पेश किये और महासागरों के सतत उपयोग के वास्ते भारत के दृष्टिकोण ‘सागर’ का उल्लेख किया।प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये “समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता” पर खुली परिचर्चा की अध्यक्षता के दौरान आतंकवाद और समुद्री अपराध के लिए समुद्री मार्ग का दुरुपयोग किए जाने की ओर ध्यान दिलाते हुए चिंता जतायी। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि महासागर दुनिया की साझा विरासत हैं और समुद्री मार्ग अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवनरेखा हैं।

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समुद्र विरासत साझा करने वाले देशों के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सिद्धांत पेश किए, जिनके आधार पर समुद्री सुरक्षा सहयोग के लिए वैश्विक प्रारूप तैयार किया जा सकता है। मोदी ने पहले सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए कहा, ” हमें वैध समुद्री व्यापार के लिए बाधाओं को दूर करना चाहिए। वैश्विक समृद्धि समुद्री व्यापार के सहज संचालन पर निर्भर करती है। समुद्री व्यापार के समक्ष कोई भी बाधा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा हो सकती है।” दूसरे सिद्धांत को लेकर उन्होंने कहा कि समुद्री विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ” यह पारस्परिक विश्वास एवं भरोसे के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह केवल इकलौता रास्ता है जिसके जरिए हम वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।”मोदी ने कहा कि भारत पूरी परिपक्वता के साथ अपने पड़ोसी बांग्लादेश के साथ समुद्री सीमा के मुद्दों को हल करता है।

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तीसरे प्रमुख सिद्धांत के बारे में मोदी ने कहा कि वैश्विक समुदाय को प्राकृतिक आपदाओं और आतंकियों द्वारा उत्पन्न समुद्री खतरों का एक साथ मिलकर सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। समुद्री पर्यावरण एवं संसाधनों का संरक्षण और समुद्री संपर्क को प्रोत्साहित करना, प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए चौथे और पांचवें सिद्धांत रहे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली परिचर्चा की अध्यक्षता करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। परिचर्चा में यूएनएससी के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली एवं प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों के उच्च स्तरीय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। परिचर्चा समुद्री अपराध और असुरक्षा का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने तथा समुद्री क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने के तरीकों पर केंद्रित थी। यूएनएससी ने समुद्री सुरक्षा और समुद्री अपराध के विभिन्न पहलुओं पर पूर्व में चर्चा कर कई प्रस्ताव पारित किए हैं। हालांकि, यह पहली बार था जब उच्च स्तरीय खुली बहस में एक विशेष एजेंडा के रूप में समुद्री सुरक्षा पर समग्र रूप से चर्चा की गई।

 

 

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