बैंकाक, 12 फरवरी (एपी) म्यांमा में प्रस्तावित साइबर सुरक्षा कानून के मसौदे को लेकर विरोध शुरू हो गया है। ऐसी आशंकाएं हैं कि इस कानून का इस्तेमाल निजता की रक्षा करने के लिए नहीं बल्कि असंतोष को कुचलने के लिए किया जाएगा।
मानवाधिकार के पैरोकारों ने शुक्रवार को वक्तव्य जारी कर देश के सैन्य नेताओं से अनुरोध किया है कि वे इस कानून की योजना को रद्द कर दें और एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद इंटरनेट पर लगी पाबंदियों को खत्म करें।
आर्टिकल 19 समूह के एशिया प्रोग्राम की प्रमुख मैथ्यू बघेर ने वक्तव्य जारी कर उक्त योजना की निंदा की। ओपन नेट एसोसिएशन और इंटरनेशनल कमिशन ऑफ ज्यूरिस्ट ने भी इस कानून को लागू करने की योजना की निंदा की।
बघेर ने कहा कि मसौदा कानून ‘‘देश में इंटरनेट आजादी के स्थायी रूप से दमन’’ के सेना के इरादे को दर्शाता है।
इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और अन्य को प्रस्तावित कानून पर जवाब देने के लिए 15 फरवरी तक का समय दिया गया है।
इंटरनेशनल कमिशन ऑफ ज्यूरिस्ट के महासचिव सैम जारिफी ने कहा, ‘‘यह बताता है कि साइबर स्पेस पर नियंत्रण म्यांमा की सेना की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। सेना पिछले हफ्ते गैरकानूनी तरीके से तख्तापलट करके सत्ता में काबिज हो गई।’’
वैश्विक इंटरनेट कंपनियों के समूह एशिया इंटरनेट कोएलेशन के प्रबंधन निदेशक जैफ पैने ने कहा कि यह कानून सेना को ‘‘नागरिकों पर नियंत्रण करने और उनकी निजता का उल्लंघन करने, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रदत्त लोकतांत्रिक नियमों एवं बुनियादी अधिकारों की अवहेलना करने की अभूतपूर्व शक्ति दे देगा।’’
मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी नॉर्वे की टेलीनॉर की ओर से कहा गया कि वह कई तरह के ‘असमंजस’ का सामना कर रही है।
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