ब्रिटेन में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई फिर से शुरू होने पर ‘सनसनीखेज घटनाक्रम’ सामने आएंगे: नीरव
ब्रिटेन में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई फिर से शुरू होने पर ‘सनसनीखेज घटनाक्रम’ सामने आएंगे: नीरव
(अदिति खन्ना)
लंदन, 18 अक्टूबर (भाषा) छह साल से अधिक समय से जेल में बंद भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने ब्रिटेन की एक अदालत को बताया कि अगले महीने धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों पर उसके प्रत्यपर्ण के तहत भारत को सौंपने के मामले की सुनवाई के लंदन में फिर से शुरू होने पर ‘सनसनीखेज घटनाक्रम’ देखने को मिलेंगे।
‘रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस’ में 54 वर्षीय नीरव मोदी शुक्रवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश साइमन टिंकलर के समक्ष एक अन्य असंबंद्ध मामले में अपना बचाव करने के लिए पेश हुआ, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया के 80 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक के बकाया ऋण का मुद्दा शामिल है।
न्यायाधीश ने जेल में तकनीकी और चिकित्सीय बाधाओं के आधार पर कार्यवाही पर रोक लगाने के नीरव के आवेदन को ठुकरा दिया, जिस पर जनवरी 2026 में सुनवाई होनी है।
नीरव ने मुकदमा-पूर्व समीक्षा सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘वे (बैंक ऑफ इंडिया) मेरे प्रत्यर्पण का जिक्र कर रहे हैं… मैं अब भी यहां हूं। कुछ सनसनीखेज घटनाक्रम समाने आएंगे, और मैंने पहले कभी इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया।’’
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के करीब दो अरब डॉलर के ऋण घोटाले के मामले में भारत में वांछित भगोड़े हीरा व्यापारी ने अदालत से कहा कि उसे ‘अत्यधिक उम्मीद’ है कि या तो उसे बरी कर दिया जाएगा या उसे जमानत दे दी जाएगी, क्योंकि अदालत ने ऐसे मामलों में उच्च स्तर की पाबंदी के बावजूद नए साक्ष्य स्वीकार करने पर सहमति जताई है।
ब्रिटेन की ‘क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस’ (सीपीएस) ने पुष्टि की है कि नीरव ने ‘अपनी (प्रत्यर्पण) अपील को फिर से खोलने के लिए एक आवेदन दायर किया है’, और भारतीय अधिकारी नवंबर के अंत में होने वाली सुनवाई से पहले अपना जवाब प्रस्तुत करेंगे।
खुद को ’व्यक्तिगत रूप से मुद्दई’ बताते हुए नीरव ने न्यायाधीश को संबोधित करते हुए कई हस्तलिखित नोट पढ़े। अधिकारी निगरानी कर रहे थे, जबकि उनका कैदी, जो एक घिसी-पिटी सफेद टी-शर्ट और गुलाबी पैंट पहने हुए था, बुदबुदाते स्वर में अपनी आंखों की रोशनी की समस्या और सलाखों के पीछे कंप्यूटर तक पहुंच पाने में होने वाली लंबी देरी के बारे में बता रहा था, जिसके बारे में उसने जोर देकर कहा कि यह किसी भी मुकदमे को अनुचित और असंतुलित बनाता है।
एक समय वह संयम खोता दिखा और कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि यह एक विरोधात्मक प्रक्रिया है और वे (बैंक ऑफ इंडिया) मेरे खिलाफ कुछ भी कह सकते हैं। लेकिन वे अनुमान लगाते रहते हैं, मैं कहूंगा, एक दिन जेल में बिताओ… कुछ बुनियादी व्यावहारिक बुद्धि की जरूरत है।’’
बैंक ऑफ इंडिया (जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता टॉम बेस्ली और आरडब्ल्यूके गुडमैन के मिलन कपाड़िया द्वारा किया जा रहा है) दुबई स्थित फायरस्टार डायमंड एफजेडई को दिए गए ऋण से संबंधित नीरव की व्यक्तिगत गारंटी की मांग कर रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि कार्यवाही पर रोक बैंक के साथ अन्याय होगा क्योंकि इससे लंबे समय से लंबित दावा अनिश्चित काल के लिए टल जाएगा।
बेस्ली ने अदालत को बताया, ‘‘अगर उसे प्रत्यर्पित किया जाता है, तो वह संभवतः हिरासत में ही रहेगा… वह एक अलग समय क्षेत्र में भी होगा।’’ उन्होंने कहा कि बैंक नीरव के ‘धन की कमी’ के दावे को लेकर ‘संशय में’ है।
न्यायमूर्ति टिंकलर ने फैसला सुनाया कि कुल मिलाकर अदालत की समय-सारिणी को बनाए रखने की आवश्यकता अन्य बातों से अधिक महत्वपूर्ण है और मामले में ‘समानता’ सुनिश्चित करने के सभी प्रयास किए गए हैं।
न्यायाधीश ने उन्हें सौंपी गई एक गोपनीय चिकित्सा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि कुछ (चिकित्सा) मुद्दे उसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं और पूरी संभावना है कि उचित समायोजन किए बिना मुकदमे में भाग लेने की उसकी क्षमता को प्रभावित करेंगे।’’
हालांकि, जनवरी में सात दिनों की सुनवाई निर्धारित होने के कारण, न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि सभी चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समायोजन करने के लिहाज से यह पर्याप्त समय है।
उन्होंने यह भी बताया कि जेल अधिकारियों ने संकेत दिया है कि नीरव को एक सप्ताह के भीतर एक कंप्यूटर उपलब्ध करा दिया जाएगा, साथ ही दिसंबर की शुरुआत में एक और पूर्व-सुनवाई से पहले सभी दस्तावेजों की प्रति उसे भेज दी जाएगी।
हाल ही में वीडियो-लिंक के जरिए नीरव की अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति के बाद अदालत ने ‘पेशी आदेश’ जारी किया था। दिन भर चली सुनवाई के अंत में नीरव को उत्तरी लंदन की एचएमपी पेंटनविले जेल भेज दिया गया, जिससे कुछ कानूनी जटिलताएं पैदा हो गईं।
व्यवसायी दक्षिण लंदन के एचएमपी थेम्साइड, जहां वह पिछले कुछ महीनों से बंद है, से इस स्थानांतरण को लेकर आशंकित दिखाई दिया और उसने अदालत से अपने आदेश में एकल कैदी प्रकोष्ठ (सिंगल ऑक्यूपेंसी सेल) का अनुरोध शामिल करने की अपील की।
न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि यह अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, लेकिन उन्होंने यह निर्देश भी दिया कि या तो उसके सभी कागजात उन्हें सौंप दिए जाएं या उसे जल्द से जल्द थेम्ससाइड वापस भेज दिया जाए।
मार्च 2019 में गिरफ्तारी के बाद से नीरव लंदन में सलाखों के पीछे है और उसने कई बार जमानत पाने के प्रयास किए हैं, लेकिन सभी प्रयास इस आधार पर खारिज कर दिए गए कि उसके भागने का खतरा है।
भारत में उसके खिलाफ तीन तरह की आपराधिक कार्यवाही चल रही है – पीएनबी धोखाधड़ी का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामला, उस धोखाधड़ी की आय के कथित शोधन से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामला और तीसरा मामला सीबीआई की कार्यवाही के दौरान सबूतों और गवाहों से जुड़े कथित हस्तक्षेप का है।
अप्रैल 2021 में, तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री प्रीति पटेल ने उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने के बाद भारतीय अदालतों में इन आरोपों का सामना करने के लिए उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। तब से उसने इस आदेश को चुनौती देने के लिए अपने सभी कानूनी रास्ते आजमाए और हाल ही में उसकी अपील को फिर से खोलने का आवेदन ब्रिटेन में स्वीकार कर लिया गया और अगले महीने इस पर सुनवाई होनी है।
भाषा संतोष रंजन
रंजन

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