सिंगापुर ने अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से निपटने के लिए कार्यबल का गठन किया

सिंगापुर ने अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से निपटने के लिए कार्यबल का गठन किया

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  • Publish Date - April 17, 2025 / 12:22 PM IST,
    Updated On - April 17, 2025 / 12:22 PM IST

(गुरदीप सिंह)

सिंगापुर, 17 अप्रैल (भाषा) सिंगापुर सरकार ने अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्क से स्थानीय व्यवसायों और श्रमिकों में उत्पन्न अनिश्चितताओं से निपटने में मदद करने के लिए पांच मंत्रियों और श्रमिक संगठनों, व्यवसायियों और नियोक्ता समूहों के तीन प्रतिनिधियों का एक उच्च स्तरीय कार्यबल समूह गठित किया है।

‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ की बृहस्पतिवार की खबर के मुताबिक, उपप्रधानमंत्री और व्यापार एवं उद्योग मंत्री गान किम योंग की अध्यक्षता में ‘सिंगापुर इकोनॉमिक रेजिलिएंस टास्क फोर्स’ ने बुधवार (16 अप्रैल) को अपनी पहली बैठक की।

प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने अमेरिका द्वारा शुल्क की घोषणा किये जाने के बाद आठ अप्रैल को कार्यबल के गठन की घोषणा की।

अमेरिका द्वारा शुल्क की घोषणा किये जाने से दुनिया भर के बाजारों में अस्थिरता पैदा हो गयी और इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाला।

इसके अलावा, गान ने मंगलवार (15 अप्रैल) को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर के साथ अपनी पहली बातचीत के दौरान हाल ही में लगाए गए शुल्क और उससे व्यापार पर हुए प्रभाव को लेकर भी चर्चा की।

समाचार पत्र ने कार्यबल की पहली बैठक के बाद गान के हवाले से बताया, “हमने अपने संबंधों पर चर्चा की, हमने शुल्क को लेकर बात की और शुल्क को लेकर अपनी चिंताओं के बारे में बात की। हमने इस बात पर भी चर्चा की कि हम आगे क्या करने की योजना बना रहे हैं।”

अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता रखने वाले सिंगापुर ने वर्तमान में आयात पर शून्य शुल्क लगाया हुआ है लेकिन पांच अप्रैल से लागू हुए शुल्क के मुताबिक, अमेरिका ने सिंगापुर पर 10 फीसदी शुल्क लगा दिया है।

‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ के अनुसार, कार्यबल व्यवसायों और श्रमिकों को नए अवसरों का लाभ उठाने तथा उभरते आर्थिक परिदृश्य में खुद को ढालने में मदद करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

इस रणनीति में समान विचारधारा वाले देशों और संगठनों के साथ साझेदारी को मजबूत बनाना और हवाई, समुद्री, व्यापार व वित्त के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में सिंगापुर की स्थिति को बढ़ावा देना शामिल है।

भाषा जितेंद्र मनीषा

मनीषा