मास्को, 19 मार्च (एपी) तालिबान ने शुक्रवार को अमेरिका को अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के लिए एक मई की समयसीमा की अवहेलना करने के खिलाफ चेतावनी दी। तालिबान ने साथ ही ऐसी अवहेलना होने पर एक ‘‘प्रतिक्रिया’’ की चेतावनी भी दी जिसका मतलब आतंकवादी समूह द्वारा हमले बढ़ना होगा।
तालिबान ने यह चेतावनी मास्को में संवाददाता सम्मेलन में दी। इससे एक दिन पहले अफगानिस्तान के वरिष्ठ वार्ताकारों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के साथ उसकी बैठक हुई थी। इस बैठक का उद्देश्य बाधित शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करना और अफगानिस्तान में दशकों के युद्ध की समाप्ति था।
अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन का कहना है कि वह उस समझौते की समीक्षा कर रहा है जो तालिबान ने ट्रंप प्रशासन के साथ किया था। बाइडन ने बुधवार को एबीसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि एक मई की समयसीमा का पालन हो सकता है लेकिन यह कठिन है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा था कि यदि इसे आगे बढ़ाया जाता है तो वह बहुत लंबा नहीं होगा।
तालिबान वार्ता टीम के एक सदस्य सुहैल शाहीन ने संवाददाताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि ‘‘उन्हें एक मई को जाना चाहिए।’’ शाहीन ने चेतावनी दी कि एक मई के बाद रुकना, समझौते का उल्लंघन होगा।’’ शाहीन ने कहा, ‘‘उसके बाद वह एक तरह से समझौते का उल्लंघन होगा। वह उल्लंघन हमारी तरफ से नहीं होगा….उनके उल्लंघन की एक प्रतिक्रिया होगी।’’
शाहीन ने यह नहीं स्पष्ट किया कि किस तरह की ‘‘प्रतिक्रिया’’ होगी। हालांकि, फरवरी 2020 में तालिबान ने जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, उसे ध्यान में रखते हुए हाल के महीनों में तालिबान ने अमेरिकी या नाटो बलों पर हमला नहीं किया है, लेकिन बिना दावों वाले बम विस्फोट और लक्षित हत्याएं बढ़ गई हैं।
शाहीन ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा कि वे वापस जाएंगे और हम अफगानिस्तान में एक स्थायी और व्यापक संघर्षविराम के लिए अफगान मुद्दे का एक शांतिपूर्ण हल पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’
शाहीन ने यह भी दोहराया कि तालिबान एक इस्लामी सरकार की अपनी मांग पर कायम है। शाहीन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस्लामी सरकार किस तरह की होगी और क्या इसका यह मतलब होगा कि दमनकारी शासन की वापसी होगी जिसमें लड़कियों को शिक्षा की मनाही थी, महिलाओं को काम करने से रोका जाता था और कड़ी सजा दी जाती थी।
शाहीन ने यह भी नहीं कहा कि क्या तालिबान चुनाव स्वीकार करेगा या नहीं लेकिन इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति अशरफ गनी इस्लामी सरकार की परिभाषा में फिट नहीं होंगे।
एपी अमित दिलीप
दिलीप