भारतीय ‘इंडेन्चर’ प्रणाली भी अफ्रीकी प्रवासी श्रम प्रणाली जितनी ही दबनकारी थी : प्रधानमंत्री सिहले

भारतीय ‘इंडेन्चर’ प्रणाली भी अफ्रीकी प्रवासी श्रम प्रणाली जितनी ही दबनकारी थी : प्रधानमंत्री सिहले

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  • Publish Date - November 18, 2020 / 07:23 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:51 PM IST

(फाकिर हसन)

जोहानिसबर्ग, 18 नवम्बर (भाषा) दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ूलू-नेटाल प्रांत के प्रधानमंत्री सिहले ज़िकलाला ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में लाई गई भारतीय ‘इंडेन्चर’ प्रणाली ( लोगों से मजदूरी कराने के संबंध में अतीत में किए गए अनुबंध) भी अफ्रीकी प्रवासी श्रम प्रणाली जितनी ही दमनकारी थी।

ज़िकलाला ने यह बयान डरबन के निकट एक स्मारक कार्यक्रम में दिया। गन्ने के रोपण के लिए गिरमिटिया भारतीय मजदूरों से भरी पहली नौका 16 नवम्बर 1860 को यहां पहुंची थी।

इन मजदूरों में से कई डरबन के उत्तर में माउंट एजेकॉम्बे जिले में बसे हैं, जहां देश का सबसे पुराना मंदिर श्री मरिअम्मन मंदिर है और यह अब भी धार्मिक आयोजनों के लिए लोकप्रिय है।

प्रधानमंत्री ने खदानों में काम करने के लिए सस्ते श्रम के रूप में पड़ोसी राज्यों से प्रवासी अश्वेत अफ्रीकी श्रमिकों को लाने की क्रूर प्रथा का भी उल्लेख किया।

श्री मरिअम्मन मंदिर में लोगों को संबोधित करते हुए ज़िकलाला ने उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो यहां आए और दमनकारी स्थितियों के बावजूद भारत लौटने के बजाय दक्षिण अफ्रीका में बस गए।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम उन 1,52,000 महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साहस, बलिदान और संघर्ष का सम्मान करते हैं।’’

ज़िकलाला ने कहा कि समुदाय को अपने स्कूल, मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर बनाने के लिए प्रेरित कर स्वदेशी समुदायों ने भारतीयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था।

ज़िकलाला ने समुदायों के बीच सामाजिक सामंजस्य लाने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों की सफलता के प्रति आगाह भी किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम हमारी एकजुटता को हल्के में नहीं ले सकते….हमें न्यायसंगतता, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए कि ताकि सभी लोगों को सफलता मिले।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम एक एकजुट, नस्लभेद और लिंगभेद रहित, लोकतांत्रिक और समृद्ध समाज बनना चाहते हैं।’’

भाषा

निहारिका शाहिद

शाहिद