भारत के रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने पर शीर्ष रिपब्लिकन सांसद ने जताई निराशा

भारत के रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने पर शीर्ष रिपब्लिकन सांसद ने जताई निराशा

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  • Publish Date - February 27, 2022 / 12:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:45 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 26 फरवरी (भाषा) अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सांसद जॉन कोर्निन ने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पेश प्रस्ताव पर मतदान में भारत के हिस्सा न लेने पर निराशा जताई। कोर्निन ने कहा कि नयी दिल्ली मॉस्को की सार्वजनिक तौर पर निंदा करने से बच रही है और रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।

भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रूसी हमले के खिलाफ यूएनएससी में पेश प्रस्ताव पर मतदान से शुक्रवार को दूर रहे, जबकि रूस ने इसके खिलाफ वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में एक वोट पड़ा।

अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और उनके पास वीटो शक्ति है। भारत इसका स्थायी सदस्य नहीं है और उसका दो ‍वर्ष का मौजूदा कार्यकाल इस साल खत्म हो रहा है।

कोर्निन ने शनिवार को ट्वीट किया, “निराशाजनक : यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत उसकी सार्वजनिक तौर पर निंदा करने से बच रहा है, क्योंकि नयी दिल्ली मॉस्को के साथ रणनीतिक साझेदारी और लोकतांत्रिक देशों के उभरते गठबंधन में अपनी भूमिका को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।”

रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल कोर्निन ‘सीनेट इंडिया कॉकस’ के सह-अध्यक्ष हैं, ऐसे में उनका यह बयान महत्वपूर्ण है। वह पिछले कुछ दशकों में भारत और अमेरिका के बीच दोस्ताना संबंधों के मजबूत समर्थक के तौर पर सामने आए हैं। कोर्निन सीनेट में टेक्सास का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इससे पहले, प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने सुरक्षा परिषद में पेश प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा न लेने के भारत के फैसले पर नाखुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि चीन की मौजूदा विस्तारवादी योजनाओं के खिलाफ नयी दिल्ली के साथ अमेरिका खड़ा रहेगा, न कि रूस।

कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक सांसद खन्ना ने शुक्रवार को ट्वीट किया था, “अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी 1962 में चीन के आक्रमण के खिलाफ भारत के साथ खड़े रहे थे। चीन की मौजूदा विस्तारवादी योजनाओं के खिलाफ भारत के साथ अमेरिका खड़ा रहेगा, न कि रूस। भारत के लिए पुतिन के खिलाफ आवाज उठाने का वक्त आ गया है। इससे बचना स्वीकार्य नहीं है।”

खन्ना के विचारों से सहमति जताते हुए कांग्रेस सदस्य एरिक स्वालवेन ने भी भारत के कदम को “निराशाजनक” बताया था।

भाषा सिम्मी पारुल

पारुल