(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 30 सितम्बर (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि उन्हें उच्चतम न्यायालय के लिए किसी न्यायाधीश को नामित करने का अधिकार है, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी से उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले को यह काम करना चाहिए।
ट्रम्प और बाइडेन के बीच राष्ट्रपति चुनाव की पहली आधिकारिक बहस (प्रेसिडेंशियल डिबेट) की गर्मागर्म शुरुआत हुई जिस दौरान स्वास्थ्य देखभाल, कोरोना वायरस और उच्चतम न्यायालय के भविष्य जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
ओहायो के क्लीवलैंड में पहली बहस के दौरान ट्रम्प से न्यायमूर्ति रूथ बेडर गिन्सबर्ग के निधन से रिक्त हुए पद के लिए न्यायाधीश एमी कोनी बैरेट को नामित करने पर सवाल किया गया था।
ट्रम्प ने कहा, ‘‘ हमने चुनाव जीता है और हमें यह करने का अधिकार है।’’
इस पर बाइडेन ने असहमति जताते हुए कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय के लिए किसी व्यक्ति को नामित करने में अमेरिकी लोगों को अपनी राय देने का अधिकार है और ऐसा तब होता है जब वे अमेरिकी सीनेटर और अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए वोट देते हैं।’’
बाइडेन ने बैरेट को नामित करने का विरोध करते हुए कहा, ‘‘ जनता को अब वह मौका नहीं मिलने वाला क्योंकि हम चुनाव के बीच में हैं, चुनाव शुरू हो चुके हैं।’’
बाइडेन ने कहा, ‘‘ लाखों लोग पहले ही वोट दे चुके हैं तो हमें इंतजार करना चाहिए था, हमें इन चुनाव के परिणामों का इंतजार करना चाहिए था क्योंकि यही एक तरीका है जिससे अमेरिका की जनता राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को चुन कर अपने विचार व्यक्त कर सकती है।’’
बहस का संचालन कर रहे ‘फॉक्स न्यूज’ के मशहूर एंकर क्रिस वालास ने पहला सवाल किया।
उन्होंने पूछा, ‘‘ आज रात आप दोनों से मेरा पहला सवाल है कि आप दोनों ने आज जो दलीले रखीं वे सही कैसे हैं और आपके प्रतिद्वंद्वी गलत कैसे हैं और न्यायमूर्ति बैरेट के मामले में आपको क्या लगता है?’’
ट्रम्प ने कहा, ‘‘ मैं आपसे कहना चाहूंगा, हमने चुनाव जीता, हर चुनाव के परिणाम होते हैं। हमारे पास सीनेट है, हमारे पास व्हाइट हाउस है और हमारे पास सभी लोगों द्वारा सम्मानित एक अभूतपूर्व व्यक्ति (नामित व्यक्ति) है। मुझे लगता है कि वह बेहतरीन काम करेंगी।’’
वहीं जो बाइडेन ने कहा कि वह न्यायमूर्ति बैरेट का विरोध नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ वह एक अच्छी इंसान लगती हैं, लेकिन उन्होंने पीठ को लिखा था (जो कि उनका अधिकार है) कि उनका मानना है कि ‘अफोर्डबल केयर एक्ट’ संवैधानिक नहीं है।’’
बाइडेन ने कहा, ‘‘ अगर ऐसे अन्य मामले जो अदालत ने नहीं है और अगर वह खारिज हो जाते हैं तो क्या होगा?महिलाओं के अधिकार मौलिक रूप से बदल जाएंगे। एक बार फिर, गर्भवती महिलाओं को अधिक भुगतान करना होगा। उसी इलाज के लिए पुरुषों की तुलना में वह अधिक पैसे देंगी। जब हमने ‘अफोर्डबल केयर एक्ट’ पारित किया था, तब यह सब समाप्त हो गया था।’’
भाषा निहारिका शाहिद
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