अफसर बनीं 5 बेटियां, 3 का हुआ एक साथ चयन...2 पहले हो चुकी हैं सेलेक्ट, रंग लायी माता-पिता की मेहनत | 5 daughters became officers, 3 were selected together, 2 have already been selected

अफसर बनीं 5 बेटियां, 3 का हुआ एक साथ चयन…2 पहले हो चुकी हैं सेलेक्ट, रंग लायी माता-पिता की मेहनत

अफसर बनीं 5 बेटियां, 3 का हुआ एक साथ चयन...2 पहले हो चुकी हैं सेलेक्ट, रंग लायी माता-पिता की मेहनत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : July 15, 2021/10:40 am IST

हनुमानगढ़। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रावतसर की 3 सगी बहनों ने एक साथ RAS अफसर बनकर एक अनोखी मिसाल पेश की है, तीनों बहनों ने अपनी लगन से ये साबित कर दिया है कि अगर अच्छी पर‍वरिश दी जाए तो बेट‍ियां बोझ नहीं वरदान बन जाती हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तीनों ही बहनें एक साथ बैठी थीं और अब एक साथ पास भी हुई हैं, इन तीनों ही बहनों ने एक साथ सरकारी स्कूल में पांचवीं तक पढ़ाई की थी।

एक बहन मंजू का 2012 में राज्य प्रशासनिक सेवा में सहकारिता विभाग में सेलेक्शन हुआ था जबकि सबसे पहली बहन रोमा का 2011 में चयन हो चुका है, अब तीन और बहनें भी आरएएस में चयनित हो गईं हैं। इन तीनों में अंशू ने OBC गर्ल्स में 31, रीतू ने 96 और सुमन ने 98 वीं रैंक हासिल की है। कभी पांचों बहनें गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ीं फिर माता पिता ने उसके बाद शहर जाकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कराई।

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एक छोटे से गांव की तीन बेटियों ने एक साथ RAS अफसर बन कर माता पिता का सपना साकार किया है और पूरे प्रदेश को गौरवान्वित किया है। हनुमानगढ़ जिले में रावतसर तहसील क्षेत्र के गांव भेरुसरी निवासी किसान सहदेव सहारण के पांच बेटियों की जिनमें से दो बेटियां रोमा और मंजू पहले ही R.A.S. में चयनित हो चुकी थी अब शेष तीन बेटियां अंशु, सुमन व ऋतु का R.A.S. में चयन हुआ है। सहारण का परिवार जब जयपुर से हनुमानगढ़ पहुंचेगा तो यहां उनका भव्य स्वागत भी किया जाएगा।

इस परिवार की दो बड़ी बेटियां जिसमें एक BDO है तो दूसरी सहकारिता विभाग में है, अब तीन और बेटियों के चयन से हनुमानगढ़ जिले में खुशी की लहर है। हाल ही में रितु, अंशु, सुमन ने परीक्षा पास करने के बाद कहा कि पूर्व में जो दो बहनें RAS में चयनित हुई थीं, उन्हीं की प्रेरणा से हम तीनों ने भी मेहनत की और यह मुकाम हासिल किया है।

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उन्होंने कहा कि यह सब उनके माता-पिता की मेहनत का फल है कि आज उनकी बेटियां इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं, सबसे बड़ी बहन रोमा ने बताया कि उनके माता-पिता को भी समाज के काफी ताने सुनने को मिले थे कि बेटियों को इतना पढ़ा-लिखा कर क्या करेंगे लेकिन उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की, उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से हमको पढ़ाया-लिखाया। हमने भी उनके सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आज यह मुकाम हासिल किया है।

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रोमा ने बताया कि उनके पिता कभी-कभी यह सोचकर डरते भी थे कि वे बेटियों को इतना पढ़ा रहे हैं, कल को अगर सफल नहीं होती है तो लोग उन्हें ताने देंगे लेकिन फिर भी उन्होंने बेटियों के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, मेरी बहनों का भी ये 10 से 12 साल का स्ट्रगल है, उन्होंने कड़ी मेहनत की और वह दूसरी लड़कियों को भी कहना चाहती हैं कि आप अपने लक्ष्य को बनाए रखें उसके लिए कड़ी मेहनत करें परिणाम की चिंता ना करें क्योंकि जो कड़ी मेहनत करेगा उसे निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।

 

 
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