CBSE gave answer in the High Court regarding the evaluation of class 10th

कक्षा 10वीं के मूल्यांकन को लेकर CBSE ने हाईकोर्ट में दिया जवाब, बताया इस तरह तैयार की गई मूल्यांकन नीति

कक्षा दसवीं की नीति में सुनिश्चित किया गया कि विद्यार्थियों के साथ नाइंसाफी नहीं हो: सीबीएसई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : July 29, 2021/6:56 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) cbse 10th result: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि इस साल कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा की मूल्यांकन नीति यह सोचकर तैयार की गयी है कि कोई भी विद्यालय विद्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं कर पाए और पाठ सीखने के आधार पर अंक दिया जाए। बोर्ड ने कहा कि ‘परिणाम समिति’ को उचित, निष्पक्ष एवं भरोसेमंद परिणाम सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी है और बारहवीं कक्षा के वास्ते भी विस्तारित आजादी के साथ ऐसी ही नीति तैयार की गयी है जिसपर उच्चतम न्यायालय मुहर लगा भी चुका है।

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cbse 10th result: कोविड-19 महामारी के चलते दसवीं कक्षा की परीक्षाएं इस साल बोर्ड ने रद्द कर दी और विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने के लिए मूल्यांकन नीति तैयार की गयी । सीबीएसई के वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ से कहा कि परीक्षा परिणाम में मानकीकरण बनाये रखने के लिए स्कूल के पिछले साल के दसवीं कक्षा के परिणाम का संदर्भ लेने कोई अवैधानिकता नहीं है।

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cbse 10th result:  बोर्ड ने सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज के नाम से दााखिल किये गये अपने हलफनामे में कहा, ‘‘ मैं स्पष्ट करता हूं कि कक्षा दसवीं के लिए मूल्यांकन नीति तैयार करते समय उत्तरकर्ता प्रतिवादी (सीबीएसई) द्वारा शक्ति का न तो कोई दुरूपयोग किया गया और न ही शासन के मोर्चे पर कोई विफलता रही क्योंकि उक्त मूल्यांकन नीति समग्र पहल के साथ तैयार की गयी है और सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी भी विद्यार्थी पूर्वाग्रह का शिकार न हो, जिसके लिए विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन तर्कसंगत बनाया गया और विभिन्न विद्यालयों के मूल्यांकनों के बीच समानता लायी गयी।’’

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सीबीएसई के वकील रूपेश कुमार ने कहा कि बोर्ड ने परिणाम की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाये तथा और यह भी प्रयास किया कि किसी भी विद्यार्थी को कक्षा दसवीं की मूल्यांकन नीति के सिलसिले में कोई शिकायत न हो। अदालत ‘जस्टिस फोर ऑल’ नामक एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया है कि विद्यालयों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 10 कक्षा के विद्यार्थियों को अंक आवंटन करने का बोर्ड का फैसला असंवैधानिक है और उसमें संशोधन की जरूरत है।

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