हाईकोर्ट का अहम फैसला! WhatsApp ग्रुप का एडमिन सदस्यों की आपत्तिजनक पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं | WhatsApp group operator not responsible for objectionable posts of a member: HC

हाईकोर्ट का अहम फैसला! WhatsApp ग्रुप का एडमिन सदस्यों की आपत्तिजनक पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं

हाईकोर्ट का अहम फैसला! WhatsApp ग्रुप का एडमिन सदस्यों की आपत्तिजनक पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : April 26, 2021/10:28 am IST

मुंबई, 26 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा है कि व्हाट्सऐप समूह के संचालक पर समूह के दूसरे सदस्य द्वारा किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही नहीं हो सकती। इसके साथ ही अदालत ने 33 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया। आदेश पिछले महीने जारी हुआ था और इसकी प्रति 22 अपैल को उपलब्ध हुई।

read more: पश्चिम बंगाल में सातवें चरण के लिए शाम 5.31 बजे तक 75.06 प्रतिशत वोटिंग, सीएम…

न्यायमूर्ति जेड ए हक और न्यायमूर्ति ए बी बोरकर की पीठ ने कहा कि व्हाट्सऐप के एडमिनिस्ट्रेटर के पास केवल समूह के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का अधिकार होता है और समूह में डाले गए किसी पोस्ट या विषयवस्तु को नियंत्रित करने या रोकने की क्षमता नहीं होती है। अदालत ने व्हाट्सऐप के एक समूह के संचालक याचिकाकर्ता किशोर तरोने (33) द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश सुनाया।

read more: ऐसे लोगों को नहीं लगवानी चाहिए कोरोना वैक्सीन, जानें फैक्टशीट की खा…

तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में भारतीय दंड संहिता की धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और 107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन) के तहत दर्ज मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था।

read more: जिन अधकचरी दवाओं को आप जीवन रक्षक समझ रहे हैं, उतनी वे हैं नहींः डॉ…

अभियोजन के मुताबिक तरोने अपने व्हाट्सऐप समूह के उस सदस्य के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहे जिसने समूह में एक महिला सदस्य के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले का सार यह है कि क्या किसी व्हाट्सऐप समूह के संचालक पर समूह के किसी सदस्य द्वारा किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही चलाई जा सकती है। उच्च न्यायालय ने तरोने के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और इसके बाद दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया।