रायपुर। IBC24 Bemisal Bastar: वैसे तो धरती का स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन अगर बस्तर को छत्तीसगढ़ को स्वर्ग कहा जाए तो ये कहीं भी गलत नहीं होगा। बस्तर दुनिया भर में सिर्फ वनों के लिए नहीं बल्कि अपनी अनूठी सममोहक संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। यहां के आदित जनजातियों की परंपराएं, लोकगीत, लोक नृत्य, स्थानीय भाषा, शिल्प एवं लोक कला की पूरी दुनिया कायल है। आज आईबीसी 24 ये जानने की कोशिश कर रहा है कि सरकार की सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा या नहीं। बता दें कि आईबीसी 24 सदा से जनता की आवाज और जनहित की बात सरकार तक पहुंचाने का माध्यम बना है और हमेशा इस बात पर अडिग रहेगा कि ‘सवाल आपका है’
यूं तो सुनने में नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की बात करना थोड़ा असहज लगता है। लेकिन केंद्र सरकार की योजनाएं इसे सहजता के साथ अंजाम तक पहुंचा रही है। भानुप्रतापपुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोयलीबेड़ा से परतापुर मार्ग लंबे इंतजार के बाद बनकर तैयार हुआ। जिससे इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए सुविधाएं तो बढ़ी ही। अंदरूनी इलाकों और नजदीकी शहर तक पहुंच भी बढ़ी है। इस सड़क के बनने के बाद कोयलीबेड़ा के लोगों को पखांजूर इलाके तक जाने में समय पैसे और संसाधानों तीनों की बचत हो रही है। इसके बनने से कोयलीबेडा से पखांजूर तक का 100 किलोमीटर लंबा सफर अब सिर्फ 40 किलोमीटर रह गया है साथ ही कोयलीबेडा और प्रतापपुर मार्ग की दूरी 31 किलोमीटर है जहां पर 3 बड़े पुलों की भी निर्माण किया गया है। इस सड़क के बनने के बाद से इस इलाके के ग्रामीणों में काफी खुशी है। क्योंकि आजादी के बाद उनकी सबसे बड़ी मांग पूरी हुई है।
IBC24 Bemisal Bastar: बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके लिए फंड जारी किया था और 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से काम अविश्वसनीय रूप से विकास हुआ।