पटना, 14 दिसंबर (भाषा) बिहार के सासाराम में अफगान राजा शेर शाह सूरी के 480 साल पुराने मकबरे के लिए उपनियम बना दिए गए हैं। यह अतीत में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर शासन कर चुके शेर शाह सूरी के इस मकबरे की सुरक्षा और साथ ही इसके आसपास के इलाके के विकास में आने वाली दिक्कतों को दूर करने में अधिकारियों की मदद करने के लिए किया गया है।
अफगान शासक सूरी को उत्कृष्ट प्रशासनिक क्षमता के लिए भी जाना जाता था। उसके मकबरे से जुड़े विभिन्न हितधारकों से आपत्तियां और सुझाव प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने ये उपनियम अधिनियमित किए हैं।
वर्ष 1540 से 1545 ईस्वी के बीच निर्मित यह मकबरा राज्य के दक्षिण-पश्चिमी जिले के ऐतिहासिक नगर सासाराम में एक कृत्रिम झील के मध्य में स्थित है। मीर मुहम्मद अलीवाल खान द्वारा डिजाइन किया गया यह मकबरा लोकप्रिय रूप से ‘भारत का दूसरा ताजमहल’ कहलाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, उपनियम बनने से संरक्षित स्मारक के आसपास के परिवेश के प्रबंधन और ऐसे स्मारक के निकट रहने वाली आबादी की आवश्यकताओं के बीच अंतर को पाटने में मदद मिलेगी।
उम्मीद है कि स्थल-विशेष उपनियम लागू होने से आम जनता के साथ-साथ प्रशासनिक और स्थानीय हितधारकों के लिए निर्माण, मरम्मत और विकास से जुड़ी अन्य आवश्यकताओं को पूरा करना अधिक आसान हो जाएगा।
हालांकि, उपनियम के अनुसार, नयी निर्माण परियोजनाएं मौजूदा वास्तुकला शैली के अनुरूप और आसपास के ऐतिहासिक परिवेश के अनुकूल होनी चाहिए।
पटना विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के पूर्व प्रोफेसर ओ पी जायसवाल ने सासाराम में शेरशाह सूरी के मकबरे के लिए उपनियम बनाए जाने का स्वागत किया।
जायसवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘केंद्र सरकार और अन्य अधिकारियों को राज्य के अन्य संरक्षित स्मारकों के लिए भी ऐसे ही उपनियम बनाने चाहिए। हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए ऐसे स्मारकों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।’’
राष्ट्रीय पर्यटन एजेंसी (एनएमए) ने 21 दिसंबर, 2021 को शेर शाह के मकबरे पर उप-नियम प्रकाशित किए थे और जनता से आपत्तियां या सुझाव आमंत्रित किए थे।
दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘निर्धारित तिथि से पहले प्राप्त आपत्तियों/सुझावों पर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने सक्षम प्राधिकारी से परामर्श करके विधिवत विचार किया है। अब… राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण एतद्द्वारा उपनियम बनाता है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘यद्यपि ‘नगर विकास योजना (2010-2030), सासाराम’ तैयार हो चुकी है, लेकिन इसमें भूमि उपयोग संबंधी विशिष्ट दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं। संरक्षित स्मारक के आसपास की भूमि का वर्तमान उपयोग मुख्य रूप से कृषि, खुली बंजर भूमि, आवासीय और संस्थागत क्षेत्रों के लिए है।’’
विशेषज्ञों का कहना है कि अब उपनियमों में अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश हैं।
भाषा अमित नेत्रपाल
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