पटना, दो दिसंबर (भाषा) बिहार पिछले एक वर्ष से मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के मामले में देश में पहले स्थान पर बना हुआ है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्यभर के मेडिकल कॉलेजों से लेकर गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाओं की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के कारण यह सफलता मिली है।
अधिकारियों का कहना है कि गंभीर बीमारियों से लेकर सर्दी, खांसी, बुखार जैसे सामान्य रोगों के इलाज तक, सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को तेजी से मजबूत कर रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मासिक रैंकिंग में बिहार ने पिछले वर्ष अक्टूबर में 79.34 अंकों के साथ राजस्थान को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया था और तब से लगातार इस पायदान पर बना हुआ है। इस वर्ष अक्टूबर में फिर से बिहार ने 81.35 अंक प्राप्त कर शीर्ष स्थान बरकरार रखा। राजस्थान 77.77 अंकों के साथ दूसरे और पंजाब 71.80 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य ने दवा और अन्य चिकित्सकीय सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लैस 165 औषधि वाहनों की सेवा शुरू की है।
इन वाहनों के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों तक समय पर दवाओं की आपूर्ति की जा रही है, जिससे दवा की निजी दुकानों पर निर्भरता कम हुई है।
विभाग के अनुसार सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध दवाओं की जानकारी मरीजों को आसानी से मिल सके, इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में क्यूआर कोड लगाया गया है। इससे मरीज और उनके परिजन यह जान सकते हैं कि संबंधित अस्पताल में कौन-कौन सी दवाएं उपलब्ध हैं।
अधिकारियों ने बताया राज्य में करीब 10,626 सरकारी स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिन पर हर वर्ष लगभग 6.5 करोड़ मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में मरीजों को मुफ्त दवाएं प्रदान की जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस व्यवस्था से गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को सबसे अधिक राहत मिली है, जिन्हें महंगी दवाएं खरीदने में पहले कठिनाई होती थी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के कार्यकाल में करीब दो वर्ष पहले एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई थी। उसी के परिणामस्वरूप बिहार सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के मामले में एक साल से देशभर में पहले स्थान पर बना हुआ है।
भाषा
कैलाश
रवि कांत