एएसआई रविवार को पटना स्थित मौर्य सम्राटों के 80 स्तंभों वाले सभागार का हिस्सा फिर से खोलेगा

एएसआई रविवार को पटना स्थित मौर्य सम्राटों के 80 स्तंभों वाले सभागार का हिस्सा फिर से खोलेगा

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  • Publish Date - November 30, 2024 / 11:10 PM IST,
    Updated On - November 30, 2024 / 11:10 PM IST

पटना, 30 नवंबर (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) रविवार को यहां कुम्हरार में स्थित मौर्य सम्राटों के ‘80 स्तंभों वाले सभागार’ के एक हिस्से को फिर से खोलेगा। यह स्थल भारतीय उपमहाद्वीप में मौर्य सम्राटों की स्थापत्य कला गतिविधियों का एकमात्र साक्ष्य माना जाता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह सभागार वह स्थान था जहां सम्राट अशोक अपना दरबार लगाते थे। हालांकि, 1990 के दशक के अंत में भूजल रिसाव के कारण सभागार के खंडहरों में जलजमाव होने लगा। खुदाई की गई संरचना को और अधिक क्षय से बचाने के लिए, 2004 में इस जगह को मिट्टी और रेत से ढक दिया गया था।

एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम और आलोक कुमार सिन्हा, ऋतिक दास और पटना सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् सुजीत नयन सहित वैज्ञानिकों द्वारा स्थल का निरीक्षण करने के बाद शनिवार को सभागार के एक हिस्से को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया।

नयन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘कल से ‘80 स्तंभों वाला सभागार’ को जनता के लिए फिर से खोलने का निर्णय लिया गया है। शुरुआत में, सभागर के केवल कुछ स्तंभ वाले हिस्से ही जनता के लिए खोले जाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि 20 वर्षों के बाद यह सभागार आम जनता के लिए खोला जाएगा। मौर्य कालीन खंभों वाले सभागार को एएसआई और के. पी. जायसवाल शोध संस्थान, पटना द्वारा 1912 और 1915 के बीच तथा फिर 1951 और 1955 के बीच किए गए उत्खनन से प्रकाश में लाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस सभागार का उपयोग अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध परिषद के लिए किया था।’’

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भूजल रिसाव के कारण हुए जलभराव के कारण, आगे की क्षति को रोकने के लिए 2005 में इस स्थल को पुनः मिट्टी और रेत से ढक दिया गया था।हालांकि, एएसआई ने अब सभागार के कुछ हिस्सों को आम लोगों के लिए फिर से खोलने का निर्णय किया है।

नयन ने कहा, ‘‘बाद में, मौजूदा स्थिति का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद पाया गया कि सभी स्तंभों को आम लोगों के लिए खोला जा सकता है।’’

अस्सी स्तंभों वाले इस सभागार को प्राचीन पाटलिपुत्र के सबसे पहले साक्ष्यों में से एक माना जाता है। कई वर्षों तक इसकी स्थिति अज्ञात रही क्योंकि यह भवन मौर्यकालीन विरासत स्थल पर 20 फीट तक मिट्टी के नीचे दबा हुआ था।

कुम्हरार पटना का एक इलाका है जहां मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र के अवशेष प्राप्त हुए थे।

यहां 600 ईसा पूर्व के पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए थे जोशहर और इसके शासकों, जिनमें अजातशत्रु, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक शामिल हैं, के इतिहास का खुलासा करते हैं। इस स्थल पर 600 ईसा पूर्व से लेकर 600 ईसवीं तक के चार ऐतिहासिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।

भाषा धीरज शोभना

शोभना