‘असामान्य’ बिहार चुनाव परिणाम तीन ‘प्रयोगों’ का नतीजा : दीपांकर भट्टाचार्य

‘असामान्य’ बिहार चुनाव परिणाम तीन ‘प्रयोगों’ का नतीजा : दीपांकर भट्टाचार्य

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  • Publish Date - November 16, 2025 / 06:08 PM IST,
    Updated On - November 16, 2025 / 06:08 PM IST

(तस्वीर के साथ)

पटना, 16 नवंबर (भाषा) विपक्षी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने रविवार को दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे ‘असामान्य’ हैं और यह तीन ‘प्रयोगों’ का नतीजा है।

भट्टाचार्य के मुताबिक इन प्रयोगों में महिला रोजगार योजना की पहली किस्त के रूप में महिलाओं को 10,000 रुपये का अंतरण,मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया में नामों को हटाना और जोड़ना, तथा एक कॉरपोरेट घराने को औने-पौने दाम पर भूमि का हस्तांतरण शामिल है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’ के घटक भाकपा (माले) लिबरेशन ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ दो सीटें जीती हैं जबकि 2020 के विधानसभा में उसने 19 सीट पर चुनाव लड़ा था जबकि उसे 12 सीटों पर जीत मिली थी।

भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, ‘‘महिलाओं के लिए 10,000 रुपये के प्रावधान सहित सरकार की सभी लक्षित कल्याणकारी योजनाएं लागू होने तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की गई। यह भारत के चुनावी इतिहास में एक अभूतपूर्व और अनूठा प्रयोग है।’’

भाकपा (माले) लिबरेशन के नेता ने जोर देकर कहा कि एसआईआर के जरिए 65 लाख वोटों को हटाने और चुनाव से पहले बाद में 3.5-4 लाख वोट जोड़ने से नतीजों पर असर पड़ा। उन्होंने दावा किया कि एसआईआर ‘‘बिहार की प्रयोगशाला में दूसरा बड़ा प्रयोग’’ था।

भट्टाचार्य ने एक कॉरपोरेट घराने को ‘‘बहुत कम कीमत पर’’ भूखंड हस्तांतरित करने को तीसरा प्रयोग बताया।

वामपंथी नेता ने कहा कि यह ‘‘बिहार के संसाधनों के निगमीकरण को सामान्य’’ बना देगा और विपक्ष ने पुरजोर तरीके से इसे उठाया, लेकिन लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

उन्होंने कहा कि ये ‘‘तीन प्रयोग’’ आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा और एजेंडा तय कर सकते हैं।

भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव परिणाम ‘‘असामान्य, हमारी आशाओं और समझ से परे’’ हैं और पार्टी तथा गठबंधन भविष्य की रणनीति तय करने के लिए इस पहलू पर विचार करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘18 से 24 नवंबर तक हमारे उम्मीदवार और पार्टी कार्यकर्ता फीडबैक और जनसंपर्क अभियान के तहत लोगों के बीच जाएंगे।’’

भाकपा (माले) लिबरेशन ने कहा, ‘‘हमें इन प्रयोगों को रोकना होगा। अन्यथा राजनीति में समान अवसर नहीं रहेंगे।’’

भट्टाचार्य ने 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों से तुलना करते हुए हुए कहा, ‘‘(तब) नीतीश कुमार का कद बढ़ रहा था। लेकिन इस बार उनकी सरकार के साथ-साथ केंद्र की राजग सरकार के प्रति भावनाएं भी कम हो रही हैं।’’ उक्त चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने भारी जीत दर्ज की थी।

भाकपा (माले) लिबरेशन महासचिव ने कहा कि भारत की चुनावी राजनीति में विसंगति है क्योंकि आमतौर पर वोट प्रतिशत और प्राप्त सीटों के बीच बेमेल होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘2020 के चुनावों के बाद से हमारे वोट कमोबेश एक जैसे ही रहे हैं, लेकिन सीटों की संख्या में गिरावट आई है।’’

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत