IBC-24 Open Window: उद्धव उकसा रहे हैं, संजय शिवसैनिकों को परोक्ष रूप से उद्वेलित कर रहे हैं, लेकिन फिर भी महज चंद ही प्रदर्शन हुए, क्या इसके अर्थ हैं, जानिए

ibc-open-window-no-impact-of-uddhav-and-sanjay-raut : उद्धव-संजय की आवाज हो रही बेअसर, क्या बदल गई शिवेसना

  •  
  • Publish Date - June 27, 2022 / 07:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 12:11 AM IST

बरुण सखाजी

सह-कार्यकारी संपादक, आईबीसी-24

शिवसेना संकट जितना आगे बढ़ रहा है  उतना ही संजय राउत  और उद्धव ठाकरे इसे और अधिक कठोर बनाते जा रहे हैं। यह अब बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना में सिर्फ वर्चस्व की लड़ाई नहीं रह गई। अब यह उद्धव ठाकरे की अनुभवहीनता, आदित्य ठाकरे के बचपने और संजय राउत के अक्खड़पन में उलझकर रह गया है। उद्धव ठाकरे जहां एकनाथ शिंदे की बातों को मानने तैयार नहीं हैं तो वहीं संजय राउत उन्हें सबक सिखाने की खुलेआम धमकियां देते नहीं थक रहे। एक बारगी तो हमें यकीन नहीं होता कि हम किसी लोकतांत्रिक ढांचे में हैं भी या नहीं।

Read more :  कमल हासन ने रचा इतिहास, किया ऐसा काम, पीेछे रह गए साउथ के सारे स्टार्स… 

बात-बात पर दफ्तरों में तोड़फोड़, गुंडागर्दी की पर्याय शिवसेना के स्थानीय खौफ का आलम ये है कि चंद जगहों पर हुई तोड़फोड़ को मीडिया को इतना बड़ा बताना पड़ा कि सच में लगे कि महाराष्ट्र मतलब शिवसेना  होता है। इसकी वजह साफ है कि उद्धव वाले शिवसैनिक अपनी मनमानी, असभ्यताओं  के लिए शुरू से ही जाने जाते रहे हैं। इसलिए समाचार माध्यम यह नुकसान नहीं लेना चाहते। नतीजे के रूप में मीडिया में उद्धव को मजबूत बताया जा रहा है।

Read more : कॉफी से बनाई जा रही ऐसी पेंटिंग, देखकर उड़ जाएंगे होश, ऐसा करने वाले देश के पहले शख्स बनेंगे शिवा…

एकनाथ शिंदे या उनकी सहयोगी जिस भी स्तर पर राजनीति कर रहे हों, लेकिन वे सबकुछ लोकतांत्रिक दायरे में  रह कर ही कर रहे हैं। इसे यूं कहकर रिडीक्यूल नहीं किया जा सकता कि वे कुछ कर नहीं सकते। क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसैनिक उद्धव से ज्यादा बाल ठाकरे को मानता है। शिवसैनिक का अर्थ सिर्फ राजनीतिक फौज नहीं, बल्कि मराठी मानुस की बड़ी अस्मिता भी है।

Read more : ‘अग्निवीरों’ को लेकर ये क्या बोल गई सीएम ममता, बढ़ सकती है मुश्किलें… 

महाराष्ट्र मामले को डील करने के लिए जिस राजनीतिक सूझ-बूझ की जरूरत होती है, वह फिलहाल उद्धव खेमे के पास नजर नहीं आ रहा। उद्धव और बाल ठाकरे में फर्क है। बाल ठाकरे के मुंह से यह बात शोभा दे सकती है कि आपस में शिवसैनिक लड़ेंगे तो मैं अपनी दुकान बंद कर दूंगा। क्योंकि बाल ठाकरे ने इसे वैसे नर्चर भी किया था। लेकिन उद्धव सिर्फ उनके पुत्र हैं। इसकेअलावा और कुछ भी नहीं। ऐसे में उद्धव से लोग बाल ठाकरे की तरह नहीं जुड़े।

Read more :  बीच जंगल में तालाब देख सोनू भिड़े ने उतारे सारे कपड़ें, नहाते हुए दिखाया बोल्ड अंदाज 

शिवसेना में एक आवाज पर पूरे देश में हल्ला मचाने की ताकत निहित रही है, लेकिन यहां बारंबर संजय राउत के लहजे और उद्धव की खुली छूट के बाद भी चंद ही प्रदर्शन देखने को मिले हैं। यह बताता है कि शिवसेना में उद्धव से कितने लोग सहमत हैं और कितने लोग एकनाथ से।

read more: आईबीसी24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें