भोपाल: मध्यप्रदेश में एक बार फिर उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। बैठकों और मंथनों का दौर जारी है। कांग्रेस के लिए कमलनाथ और मुकुल वासनिक ने मोर्चा संभाला है, तो बीजेपी के लिए सरकार और संगठन के पदाधिकारी रणनीति बना रहे हैं। गुरुवार को कमलनाथ ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक ली और उन्हें जीत का फॉर्मूला बताया, लेकिन दूसरी ओर खंडवा लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर संग्राम भी दिखा। अब सवाल ये है कि मिशन उपचुनाव के लिए इस बार क्या है कांग्रेस की तैयारी? सवाल ये भी कि क्या कांग्रेस एक बार फिर ‘दमोह मॉडल’ पर चुनाव लड़ेगी?
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ये कांग्रेस के सीनियर लीडर सज्जन सिंह वर्मा के बोल हैं। सज्जन सिंह वर्मा का ये बयान तब आया है जब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक और कमलनाथ पार्टी के पदाधिकारियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट रहने के नुस्खे बता रहे थे। दरअसल मध्यप्रदेश में तीन विधानसभा सीटों और खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए कमलनाथ और मुकुल वासनिक चुनाव प्रभारियों और दावेदारों के साथ जीत के लिए मंथन हुआ। इधर खंडवा लोकसभा सीट के सबसे तगड़े दावेदार अरुण यादव का ही विरोध हो गया। असल में कांग्रेस का एक गुट नहीं चाहता कि अरुण यादव को खंडवा से दोबारा टिकट मिले। इसके लिए पार्टी के कई सीनियर नेताओं ने दूसरे नामों की भी सिफारिश की है। इस लिस्ट में कांग्रेस के नजदीकी निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का भी नाम है। शेरा ने बुधवार को कमलनाथ से मिलकर अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगा है। हालांकि कांग्रेस प्रभारी मुकुल वासनिक का कहना है कि पार्टी मंथन करने के बाद ही जिताउ उम्मीदवार को टिकट देगी।
टिकट के लिए मचे खींचतान के बावजूद कांग्रेस ने उपचुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। कमलनाथ ने ये साफ कर दिया है कि चुनाव जीतना है तो हवाबाज नेताओं से पार्टी को दूरी बनानी होगी, उन्होंने भी ये माना है कि चुनाव के आखिरी तीन दिनों में ही पार्टी की हार हो जाती है। लिहाजा चुनावों के आखिरी तीन दिनों में कार्यकर्ताओं को जी तोड़ मेहनत करनी होगी। बैठक को संबोधित करते हुए मुकुल वासनिक ने कहा कि खंडवा के जरिए कांग्रेस दिल्ली का रास्ता तय करेगी। कांग्रेस की बैठकों पर बीजेपी सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि अब कांग्रेस के पास बैठक लेने के अलावा कुछ बचा नहीं है।
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असल में कांग्रेस खंडवा लोकसभा को लिटमस टेस्ट मानकर जोर लगा रही है। कांग्रेस को लगता है कि खंडवा लोकसभा सीट के नतीजे 2024 में होने वाले आम चुनावों की पिक्चर क्लियर कर देंगे। अब सवाल ये है कि उपुचनाव के लिए कमलनाथ ने जो जीत का फॉर्मूला दिया है, पार्टी उसपर कितना अमल कर पाती है?