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CM Mohan Yadav Assam Visit: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवन का नजदीक से अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने वहां के हाथियों को स्नेहपूर्वक गन्ना खिलाया जिससे वन्यजीवों के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता और प्रेम दिखा। डॉ. मोहन यादव पार्क में एक अजगर को छोड़ने की प्रक्रिया का हिस्सा भी बने, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत जरुरी है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम का एक प्रमुख संरक्षित क्षेत्र है जहाँ बाघ, हाथी, गैंडे और कई अन्य दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं। उन्होंने वहां वन्य जीव संरक्षण और प्रजातियों के संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “वन्य जीव हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर हैं। ये पृथ्वी की समृद्धि और संतुलन के प्रतीक हैं। मध्यप्रदेश में भी इस दिशा में अनेक नवाचार और सतत प्रयास किए जा रहे हैं।”
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मुख्यमंत्री ने इस दौरे पर कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस दौरान उन्होंने वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन भी दिया।
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डॉ. मोहन यादव के इस दौरे ने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ा दी है। उनका ये अनुभव और सक्रिय भागीदारी वन संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।
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ये सेंटर न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अवैध शिकार और वन्य जीवों के काले बाज़ार के विरुद्ध लिए गए ठोस निर्णयों के लिए भी जाना जाता है। 22 सितंबर 2021, विश्व गैंडा दिवस के अवसर पर यहां 2,479 जब्त गैंडों के सींगों का औपचारिक रूप से दहन किया गया था जो कि एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम था। ये कार्य आसाम की वन्यजीव सुरक्षा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक माना गया। दहन से पहले, चुनिंदा सींगों के नमूने वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए सुरक्षित किए गए थे।
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जुलाई 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 2,573 हो गई, जिन्हें डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) को भेजा गया। इस सेंटर में की जा रही फोरेंसिक और डीएनए जांच पहल विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि इसके माध्यम से जब्त किए गए सींगों की उत्पत्ति, प्रमाणिकता और वन्यजीव अपराधों की जांच को मजबूती मिल रही है। इस वैज्ञानिक प्रक्रिया ने गैंडा संरक्षण को पारदर्शी, साक्ष्य आधारित और नैतिक आधार प्रदान किया है, जिससे भविष्य में और भी प्रभावशाली संरक्षण नीति बनाना संभव हो सकेगा।