edible oil price today
Fall in oil and oilseed prices: नई दिल्ली। विदेशों में नरमी के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बुधवार को लगभग सभी तेल- तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। आयातित तेलों के थोक दाम अपने निचले स्तर पर होने के बीच देश में ऊंची लागत वाली सरसों की अच्छी नयी पैदावार को लेकर किसानों और तेल पेराई मिलों की चिंता गहराती जा रही है। बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों में विशेषकर ‘सॉफ्ट ऑयल’ का आयात कम रहने के कारण आयातित सोयाबीन और सूरजमुखी तेल प्रीमियम के साथ बेचा जा रहा है। इसके बाद भी देश के बंदरगाहों पर सोयाबीन डीगम तेल का थोक दाम 82 रुपये किलो बैठता है। इसी तरह आयातित सूरजमुखी तेल का थोक भाव 85 रुपये किलो बैठता है।
दूसरी ओर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से देशी सरसों तेल का भाव 125-130 रुपये किलो और देशी सूरजमुखी तेल का भाव 150-155 रुपये किलो बैठता हो तो ऐसी स्थिति में सस्ते आयातित तेलों के सामने देशी तेल तिलहन कहां टिकेंगे? सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित खाद्यतेलों की वजह से तेल बाजार की धारणा भी प्रभावित हुई है। इसकी वजह से हर साल एमएसपी बढ़ते बढ़ते देशी तेल तिलहन आयातित खाद्यतेलों के मुकाबले महंगे बैठ रहे हैं और इनका मंडियों में खपना दूभर हो चला है।
इस स्थिति से देश के तिलहन किसानों को वाजिब दाम से काफी नीचे दाम पर अपने उत्पाद बेचने का दवाब है। चूंकि तेल मिलों को पेराई के बाद सस्ते आयातित तेल के रहते अपने महंगे लागत वाले तेल बेचने में मुश्किल आ रही है तो उन्हें भी खासी परेशानी है। इन सबके बीच अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अधिक निर्धारित किये जाने की वजह से देशी उपभोक्ताओं को यही सस्ता आयातित तेल खुदरा में महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। वैसे देखा जाये तो विगत लगभग तीन महीनों से सॉफ्ट आयल का आयात भी कम हुआ है जिसकी वजह से भी कीमतों में मजबूती है।
Fall in oil and oilseed prices: शिकागो एक्सचेंज कल रात लगभग एक प्रतिशत मंदा बंद हुआ था और फिलहाल भी यहां गिरावट है। मलेशिया एक्सचेंज में भी गिरावट का रुख था। मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज की इस गिरावट की वजह से सोयाबीन तेल तिलहन और कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर रहने से मूंगफली तेल तिलहन में गिरावट रही।