केयर्न एनर्जी के शेयरधारकों ने भारत से मध्यस्थता फैसले का सम्मान करने को कहा

केयर्न एनर्जी के शेयरधारकों ने भारत से मध्यस्थता फैसले का सम्मान करने को कहा

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  • Publish Date - January 24, 2021 / 07:21 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) केयर्न एनर्जी पीएलसी के कुछ चर्चित निवेशकों ने भारत सरकार से मध्यस्थता निर्णय का सम्मान करते हुए ब्रिटेन की तेल कंपनी को 1.2 अरब डॉलर लौटाने को कहा है। इन निवेशकों में ब्लैकरॉक, एमएफएस, फ्रैंकलिन टेंपलटन और फिडेलिटी शामिल हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

केयर्न को सात साल पहले आज ही के दिन पिछली तारीख से कर आकलन थमाया गया था। कंपनी की तीन-चौथाई यानी करीब 75 प्रतिशत हिस्सेदारी दुनिया के शीर्ष निवेशकों के पास है। अमेरिकी की एमएफएस इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के पास 529 अरब डॉलर के साथ कंपनी की 14.02 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

न्यूयॉर्क की ब्लैकरॉक 12.19 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ कंपनी की दूसरी सबसे बड़ी शेयरधारक है। शेयर बाजारों के आंकड़ों के अनुसार कंपनी के अन्य निवेशकों में फिडेलिटी इंटरनेशनल, फ्रैंकलिन टेंपलटन, वैनगार्ड ग्रुप और अबरदीन स्टैंडर्ड इन्वेस्टमेंट्स शामिल हैं।

मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि इन निवेशकों ने भारत सरकार और अपने देशों अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों को इस बारे में पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि हेग की स्थायी मध्यस्थता अदालत के फैसले का सम्मान होना चाहिए।

तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने पिछले महीने एकमत से ब्रिटेन की तेल एवं गैस कंपनी पर पिछली तारीख से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग को खारिज कर दिया था। न्यायाधिकरण में भारत द्वारा नियुक्त न्यायाधीश भी शामिल थे।

न्यायाधिकरण ने सरकार को उसके द्वारा बेचे गए शेयरों का मूल्य, जब्त लाभांश और रोके गए कर रिफंड को लौटाने को कहा था।

सूत्रों ने बताया कि केयर्न एकल प्रवर्तक वाली कंपनी नहीं है। कंपनी में दुनिया के शीर्ष निवेशकों की हिस्सेदारी है और अब ये निवेशक अपने हितों का संरक्षण चाहते हैं।

सूत्रों ने कहा कि इन निवेशकों ने इस मुद्दे के हल के लिए सात साल तक धैर्य के साथ इंतजार किया। अब जबकि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता निर्णय आ गया है, तो वे चाहते हैं कि इसका सम्मान किया जाए और इस मुद्दे को समयबद्ध तरीके से सुलझाया जाए।

केयर्न के अंतरराष्ट्रीय शेयरधारकों ने कंपनी के 30 प्रतिशत से अधिक शेयर बेच दिए हैं। ये शेयरधारक अमेरिका और ब्रिटेन में अपनी सरकारों के साथ-साथ भारत सरकार से भी इस मुद्दे के समयबद्ध तरीके से हल के लिए बातचीत कर रहे हैं।

भाषा अजय अजय

अजय