Concessional rates on covid medicines released till December

बड़ी राहत: GST मुक्‍त हुईं कई दवाएं, पेट्रोल-डीजल पर वित्त मंत्री ने लिया ये फैसला

GST Council Meeting : लेकिन पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी कर व्यवस्था के दायरे से बाहर ही रखने का फैसला किया।

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : September 18, 2021/12:05 am IST

लखनऊ।  माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शुक्रवार को कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली दवाओं पर रियायती कर की दरें दिसंबर तक जारी रखने और कैंसर दवाओं पर कर में कमी करने का निर्णय किया। लेकिन पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी कर व्यवस्था के दायरे से बाहर ही रखने का फैसला किया।

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परिषद ने इसके साथ ही मांसपेशियों के उत्तकों के क्षरण (मस्कुलर एट्रोफी) में उपयोगी आयातित महंगी दवाओं पर जीएसटी से छूट दी है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। परिषद ने फोन और ऑनलाइन माध्यम से आर्डर लेने वाले मंचों के जरिये आर्डर लेकर खाना पहुंचाने वाले रसोई (क्लाउड किचन) और स्विगी तथा जोमैटो जैसी खाना डिलिवरी से जुड़े ई-वाणिज्य मंचों की सेवाओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय किया है।

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इसके तहत, एक जनवरी 2022 से खाना डिलिवरी वाले ऐप को 5 प्रतिशत जीएसटी संग्रह कर उसे रेस्तरां के बजाए सरकार को देना होगा। यह कर खाने की डिलिवरी पर लगाया गया है। इससे ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त कर का बोझ नहीं पड़ेगा।

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद सीतारमण ने कहा, ‘‘स्विगी जैसे खाना आपूर्ति से जुड़े परिचालकों (रेस्तरां से लेकर खाना ग्राहक तक पहुंचाने) को उस जगह से कर लेना होगा, जहां वे खाना की डिलिवरी करेंगे।’’ राजस्व सचिव तरूण बजाज ने कहा, ‘‘यह कोई अतिरिक्त कर नहीं है। कोई नया कर नहीं लगाया गया है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘अभी कर का भुगतान रेस्तरां करते हैं। अब रेस्तरां के बजाए कर का भुगतान खाना डिलिवरी से जुड़े परिचालक करेंगे। इससे राजस्व में होने वाले नुकसान पर रोक लगेगी।’’

बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक किसी भी तरह के मोटर वाहन से यात्री परिवहन करने वाले ई- वाणिज्य परिचालकों की सेवाओं पर और इसके साथ ही कुछ अपवादों को छोड़कर इनके द्वारा दी जाने वाली रेस्त्रां सेवाओं को एक जनवरी 2022 से कर के दायरे में लाने का निर्णय किया गया है।

इसके अलावा यह भी निर्णय किया गया है कि राज्यों को जीएसटी लागू होने से राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था अगले साल जून से समाप्त हो जाएगी।

हालांकि, राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिये आरामदायक और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर जीएसटी के ऊपर लगने वाला उपकर मार्च 2026 तक जारी रहेगा।

यहां परिषद की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेमडेसिविर जैसी दवाओं पर रियायती जीएसटी दर 31 दिसंबर तक जारी रहेगी।

इसके अलावा, कोविड-19 के इलाज में उपयोगी फैवीपिरावीर पर 31 दिसंबर तक 5 प्रतिशत की घटी दर से शुल्क लगता रहेगा।

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हालांकि, चिकित्सा उपकरण पर रियायती कर की व्यवस्था 30 सितंबर को समाप्त हो जाएगी।

परिषद ने पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं लाने का फैसला किया है। इसकी वजह यह बताई गई है कि मौजूदा उत्पाद शुल्क और वैट (मूल्य वर्धित कर) को समाहित कर दिये जाने से राजस्व पर असर पड़ेगा।

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में रखने से ईंधन की कीमतों कमी आएगी।

सीतारमण ने कहा कि परिषद ने इस मुद्दे पर केवल इसीलिए चर्चा की क्योंकि केरल उच्च न्यायालय ने यह कहा था। लेकिन यह महसूस किया गया, ‘‘यह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का यह सही समय नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘केरल उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी जाएगी कि इस बारे में चर्चा हुई है और जीएसटी परिषद का मानना है कि यह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का सही समय नहीं है।’’

अन्य निर्णय में जोल्गेन्स्मा और विलटेप्सो जैसी मांसपेशियों के उत्तकों के क्षरण (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) में उपयोगी दवाओं के आयात पर जीएसटी से छूट दी गई है, जिस पर करोड़ों रुपये की लागत आती है।

कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा कीट्रूडा पर अब पहले के 12 प्रतिशत के बजाए 5 फीसदी कर लगेगा।

परिषद ने पोषक तत्वों से युक्त चावल केरनेल पर जीएसटी 18 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया।

डीजल में मिलाये जाने वाले बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ राज्यों द्वारा वस्तुओं की ढुलाई वाले वाहनों से लिये जाने वाले राष्ट्रीय परमिट फीस को जीएसटी से छूट दी गयी है।

परिषद ने सभी प्रकार के पेन (कलम) पर 18 प्रतिशत की एकल दर से जीएसटी जबकि विशिष्ट नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर 12 प्रतिशत माल एवं सेवा कर लगाने का निर्णय किया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पट्टे वाले विमानों के आयात पर आई-जीएसटी (एकीकृत जीएसटी) से छूट दी गयी है। इसके अलावा भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित हाट को आपूर्ति की जाने वस्तुओं पर आईजीएसटी से छूट मिलेगी।

राज्यों की क्षतिपूर्ति के मुद्दे के बारे में उन्होंने कहा कि पूर्व जीएसटी परिषद की बैठक में ‘‘यह निर्णय किया था कि जुलाई 2022 के बाद उपकर संग्रह का उपयोग राज्यों द्वारा लिये गये कर्ज के भुगतान के लिये किया जाएगा।’’


उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस मुआवजा उपकर की बात कर रही हूं जो जुलाई 2022 से शुरू होने जा रहा है। यह राज्यों को 14 प्रतिशत राजस्व वृद्धि की गारंटी देने वाली व्यवस्था के समाप्त होने के बाद शुरू होगा।’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘मौजूदा क्षतिपूर्ति व्यवस्था को पांच साल पर समाप्त होना है। पांच साल की अवधि जुलाई 2022 को पूरी हो रही है। जुलाई 2022 के बाद उपकर का उपयोग कर्ज के भुगतान में किया जाएगा। परिषद की 43वीं बैठक में इस पर निर्णय हुआ था। यह जुलाई 2022 से शुरू होकर मार्च 2026 तक चलेगा। इसका उपयोग राज्यों को पिछले साल से दिये गये कर्ज के भुगतान में ही किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि दर युक्तिकरण और बेहतर अनुपालन तथा कर चोरी रोकने के लिए आंकड़ों के उपयोग को लेकर राज्यों के वित्त मंत्रियों के दो समूह का गठन किया जाएगा। दोनों मंत्री समूह दो महीने में अपनी रिपोर्ट देंगे। अन्य निर्णयों में, ‘कार्बोनेटेड’ फलों के जूस और फल के जूस के साथ ‘कार्बोनेटेड’ पेय पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर और 12 प्रतिशत का क्षतिपूर्ति उपकर लगाना शामिल है।