कपास की 40 लाख गांठ के शुल्क-मुक्त आयात की मांग, प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की अपील

कपास की 40 लाख गांठ के शुल्क-मुक्त आयात की मांग, प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की अपील

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  • Publish Date - February 28, 2022 / 08:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

कोयंबटूर, 28 फरवरी (भाषा) भारत में कपास की कमी के अनुमान के बीच दक्षिण भारत मिल संघ (एसआईएमए) ने सोमवार को केंद्र से मध्यम स्टेपल वाली कपास की 40 लाख गांठ के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देने का अनुरोध किया। एसआईएमए ने रोजगार के नुकसान से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कपास नीतियों में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

एसआईएमए के अध्यक्ष रवि सैम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि चालू सत्र के दौरान देश ने अब तक अधिशेष कपास का उत्पादन किया है और वह बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों को इसका निर्यात कर रहा है। चालू सत्र के दौरान मांग बढ़ने और करीब 50 लाख गांठ के निर्यात की उल्लेखनीय वृद्धि के कारण देश को 30 से 40 लाख गांठ कपास की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि एक वर्ष में घरेलू कपास की कीमत में 135 रुपये प्रति किलोग्राम (फरवरी 2021) के स्तर से 219 रुपये प्रति किलोग्राम (फरवरी 2022) की अभूतपूर्व वृद्धि निर्यातकों की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में आड़े आ रही है। उन्होंने कहा कि 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने से भारत के कपास बाजार में तेजी आई है।

चूंकि कपास का बीज मूल्य (कपास) न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग 70 प्रतिशत अधिक है, इसलिए किसान और व्यापारी कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद में कपास की जमाखोरी कर रहे हैं।

ताजा कपास की आवक फरवरी के दौरान लगभग 220 लाख गांठ रह गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह लगभग 293 लाख गांठ थी। बाजार में आई 220 लाख गांठों में से लगभग 150 लाख गांठों की मिलों ने खपत कर ली है, 30 लाख गांठों को निर्यात के लिए अनुबंधित किया गया है, 15 से 20 लाख गांठें पाइपलाइन में हैं और लगभग 20 लाख गांठें व्यापारियों और गिन्नर्स के पास हैं।

सैम ने कहा कि इसलि, कताई मिलों के पास केवल एक से दो महीने का स्टॉक है, जबकि फरवरी के दौरान तीन से छह महीने के सामान्य स्टॉक हुआ करता था।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय