नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार का अंतत: कम दर वाला रियायत-मुक्त सरल आयकर ढांचा लाने का लक्ष्य है। उन्होंने बजट में व्यक्तिगत आयकर ढांचे में बदलाव के एक दिन बाद यह बात कही।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में यह भी कहा कि सरकार ने करदाताओं के लिये नई कर व्यवस्था को अनिवार्य बनाने को लेकर कोई समयसीमा नहीं रखी है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हम कर की कम दर वाली व्यवस्था अपनाना चाहेंगे, जो सरल और बिना छूट वाली हो।’’
बजट में नई वैकल्पिक कर व्यवस्था में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इसमें सात लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं लगेगा। इसमें करदाताओं को 50,000 रुपये की मानक कटौती का दावा करने की भी अनुमति दी गयी है। यह माना जा रहा है कि इस कदम का उद्देश्य वेतनभोगी वर्ग को नई कर व्यवस्था अपनाने के लिये प्रेरित करना है, जिसमें निवेश को लेकर कोई छूट नहीं होगी।
राजस्व विभाग के विश्लेषण के अनुसार पुरानी कर व्यवस्था के तहत लाभ प्राप्त करने के लिये 15 लाख रुपये सालाना आय वाले व्यक्ति को कम-से-कम 3.75 लाख रुपये की कटौती का दावा करना होगा। अगर इतना दावा नहीं है तो 2023-24 में नई कर व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी।
मल्होत्रा ने कहा कि मानक कटौती पर गौर करने के बाद नई व्यवस्था में 7.5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को कोई कर नहीं देना होगा।
मानक कटौती का लाभ अबतक केवल पुरानी कर व्यवस्था में ही उपलब्ध था।
बजट में पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही नई कर व्यवस्था को ‘डिफॉल्ट’ बनाया गया है। इसका मतलब है कि करदाता अगर कर रिटर्न भरते समय कोई विकल्प नहीं चुनता है, वह स्वत: नई व्यवस्था में चला जाएगा।
नई कर व्यवस्था उन लोगों के लिये बेहतर है, जो आयकर छूट को लेकर पर्याप्त निवेश नहीं करते।
राजस्व विभाग के विश्लेषण के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की सालाना कमाई 10 लाख रुपये है, उसे अपनी कर देनदारी कम करने के लिये कटौती दावों को लेकर कम-से-कम 2,62,500 रुपये निवेश करने होंगे।
भाषा रमण अजय
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