भारत, न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता संपन्न होने की घोषणा की
भारत, न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता संपन्न होने की घोषणा की
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता संपन्न होने की सोमवार को घोषणा की। इसका मकसद वस्तुओं तथा निवेश में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है।
वार्ता इस साल मई में शुरू हुई थी।
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता पूरी हो गई है। इस मुक्त व्यापार समझौते से भारत को निर्यात होने वाले हमारे 95 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क कम हो जाएगा या पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
लक्सन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दो दशकों में न्यूजीलैंड से भारत को प्रति वर्ष होने वाला निर्यात 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने न्यूजीलैंड-भारत मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत संपन्न होने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अभी बात की है। ’’
प्रधानमंत्री लक्सन ने कहा, ‘‘ यह समझौता दोनों देशों की मजबूत मित्रता पर आधारित है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इससे न्यूजीलैंड के व्यवसायों को 1.4 अरब भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचने का अवसर मिलता है।’’
वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 1.3 अरब डॉलर था। इसमें भारत का निर्यात 71.11 करोड़ डॉलर और आयात 58.71 करोड़ डॉलर रहा था।
न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क केवल 2.3 प्रतिशत है, जबकि भारत का 17.8 प्रतिशत है। न्यूजीलैंड की 58.3 प्रतिशत शुल्क श्रेणियां पहले से ही शुल्क मुक्त हैं।
न्यूजीलैंड को भारत का निर्यात व्यापक है लेकिन इसमें ईंधन, वस्त्र एवं दवाइयों का प्रमुख योगदान है।
विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) का निर्यात सबसे अधिक 11.08 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा। इसके बाद वस्त्र, कपड़े व घरेलू वस्त्रों का निर्यात 9.58 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा।
दवाओं का मूल्य 5.75 करोड़ अमेरिकी डॉलर जबकि ‘टर्बोजेट’ सहित मशीनरी का योगदान 5.18 करोड़ अमेरिकी डॉलर था।
पेट्रोलियम उत्पाद भी एक प्रमुख घटक है जिनमें डीजल का निर्यात 4.78 करोड़ अमेरिकी डॉलर तथा पेट्रोल का निर्यात 2.27 करोड़ डॉलर रहा।
अन्य प्रमुख निर्यात में मोटर वाहन व उनके कलपुर्जे (1.93 करोड़ डॉलर), कागज व ‘पेपरबोर्ड’ (1.83 करोड़ डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक (1.65 करोड़ डॉलर), लोहा व इस्पात (1.41 करोड़ डॉलर), झींगे (1.37 करोड़ डॉलर), बासमती चावल (1.19 करोड़ डॉलर) और सोने के आभूषण (99 लाख डॉलर) शामिल हैं।
इसके विपरीत, भारत को न्यूजीलैंड के निर्यात में कच्चे माल व कृषि संबंधी वस्तुओं का वर्चस्व है। लकड़ी एवं लकड़ी से बने उत्पाद (7.84 करोड़ डॉलर) तथा लकड़ी का गूदा (3.98 करोड़ अमेरिकी डॉलर) कागज, पैकेजिंग एवं निर्माण क्षेत्रों में संबंधों को दर्शाते हैं।
इस्पात के कबाड़ (स्क्रैप) का निर्यात 7.12 करोड़ डॉलर तक पहुंचा जबकि एल्युमीनियम कबाड़ का कुल निर्यात 4.29 करोड़ डॉलर रहा जो भारत की पुनर्चक्रित धातु सामग्री पर निर्भरता को दर्शाता है।
ऊर्जा व भारी उद्योग में, कोकिंग कोयले का निर्यात 4.88 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा, साथ ही उच्च मूल्य वाले ‘टर्बोजेट’ इंजन का निर्यात 6.62 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा।
कृषि एवं पशु-आधारित उत्पाद भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनमें ऊन (4.73 करोड़ अमेरिकी डॉलर), दूध ‘एल्ब्यूमिन’ (3.21 करोड़ अमेरिकी डॉलर), सेब (3.28 करोड़ अमेरिकी डॉलर) और कीवी फल (1.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर) प्रमुख हैं।
सेवाओं का व्यापार दोनों देशों के संबंधों का एक अधिक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत द्वारा न्यूजीलैंड को सेवाओं का निर्यात 21.41 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा जबकि न्यूजीलैंड द्वारा भारत को सेवाओं का निर्यात 45.65 करोड़ अमेरिकी डॉलर था।
भारत की ताकत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) व सॉफ्टवेयर सेवाओं, दूरसंचार सहायता, स्वास्थ्य सेवा तथा वित्तीय सेवाओं में निहित है।
न्यूजीलैंड के सेवा निर्यात में शिक्षा का दबदबा है जो भारतीय छात्रों द्वारा संचालित है। इसके बाद पर्यटन, वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) समाधान एवं विशेष विमानन प्रशिक्षण का स्थान है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा

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