भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 प्रतिशत कटौती के लक्ष्य से आगे होगा: आर के सिंह

भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 प्रतिशत कटौती के लक्ष्य से आगे होगा: आर के सिंह

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  • Publish Date - July 15, 2021 / 11:19 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को भरोसा जताया कि भारत पेरिस समझौते के तहत 2030 के लिये निर्धारित कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के अपने लक्ष्य से अधिक हासिल करेगा।

उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आत्मनिर्भर भारत-नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता विषय पर आयोजित सम्मेलन में सिंह ने कहा कि पेरिस में जतायी गयी अपनी प्रतिबद्धता के तहत भारत को 2030 तक कार्बन उत्सर्जन गहनता में 33 प्रतिशत तक कमी लाना है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘हालांकि जिस तरीके से ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव हो रहा है, सीओ2 उत्सर्जन में कमी भारत के संकल्प से कहीं अधिक होगा।’’

उन्होंने यह भी कहा कि पेरिस समझौते के तहत भारत को अपनी कुल क्षमता में 40 प्रतिशत बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन यानी हरित स्रोतों से प्राप्त करनी है।

मंत्री ने कहा, ‘‘हम पहले 39 प्रतिशत पर पहुंच चुके हैं और अगर आप स्थापित होने के अंतर्गत पहुं चुकी क्षमताओं को जोड़े तो यह 48 प्रतिशत पहुंच जाएगा। हम एनडीसी (राष्ट्र के स्तर पर निर्धारित योगदान) संकल्प से आगे हैं।’’

बिना किसी देश का नाम लिये उन्होंने कहा कि कई देश हैं, जहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 9 प्रतिशत तक है। यह वैश्विक औसत से अधिक है। वहीं भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत का एक तिहाई है।

सिंह ने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से मैं इन देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं देखता… हम 2050 तक कार्बन तटस्थ बनने के संकल्प के बारे में बात करते हैं लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है…।’’

उन्होंने कहा कि देशों को यह बताना चाहिए कि अगले पांच साल में वे क्या करेंगे और कैसै वे प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में कमी लाएंगे। ‘‘जबकि सचाई यह है कि इस बारे कोई कुछ नहीं कह रहा।’’

मंत्री ने कहा कि भारत में तेजी से ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव हो रहा है और भविष्य में यह जारी रहेगा।

इससे पहले, सिंह ने कहा था, ‘‘भारत तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर रहा है। लेकिन जबतक सभी देश साथ नहीं आएंगे, हम वैश्विक तापमान में वृद्धि में कमी नहीं ला सकते।’’

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर