नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) एल्कोहल आधारित पेय उत्पाद विनिर्माताओं के संघ सीआईएबीसी ने रविवार को घरेलू उत्पादों के लिए यूरोपीय बाजारों में अधिक बाजार पहुंच और गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने की मांग की।
भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) को गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करना चाहिए, जो अधिकांश भारतीय उत्पादों को उनके बाजार में बिक्री से रोकती हैं।
सीआईएबीसी ने एक बयान में कहा कि एल्कोहल वाले पेय पदार्थों पर ईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) ब्रिटेन से अलग नहीं होना चाहिए, जिसके लिए बातचीत वर्तमान में चल रही है।
संघ ने कहा कि किसी उत्पाद को व्हिस्की मानने के लिए उसके कम से कम तीन साल पुराना होने और ब्रांडी के लिए एक साल की समयसीमा भारत में बने उत्पादों पर लागू नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यहां जलवायु गर्म है और शराब जल्दी तैयार हो जाती है।
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने कहा, ‘कई बार वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ साबित किया गया है कि इतनी लंबी परिपक्वता अवधि भारत की गर्म जलवायु पर लागू नहीं होती है। हमारा मानना है कि यह प्रभावी रूप से एक गैर-शुल्क बाधा है क्योंकि लंबी परिपक्वता अवधि की शर्त से भारतीय उत्पादों की लागत 30-40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। भारतीय जलवायु में स्पिरिट हर साल 10-15 प्रतिशत (यूरोप में 1-2 प्रतिशत की तुलना में) वाष्पित हो जाती है।’
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय