Guard of Honour Rules Chhattisgarh: मंत्रियों-पुलिस अधिकारियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिए जाने की परंपरा खत्म, गृह विभाग ने नए साल से पहले लिया ऐतिहासिक फैसला

Guard of Honour Rules Chhattisgarh: मंत्रियों-पुलिस अधिकारियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिए जाने की परंपरा खत्म, गृह विभाग ने नए साल से पहले लिया ऐतिहासिक फैसला

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  • Publish Date - December 25, 2025 / 09:14 AM IST,
    Updated On - December 25, 2025 / 09:15 AM IST

Guard of Honour Rules Chhattisgarh: मंत्रियों-पुलिस अधिकारियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिए जाने की परंपरा खत्म / Image: X

HIGHLIGHTS
  • "अनावश्यक औपचारिकताओं" से मुक्त कर आधुनिक व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम
  • यह नियम पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया
  • पुलिस स्मृति दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर पुलिस की गरिमा और परंपरा को बनाए रखा जाएगा

रायपुर: Guard of Honour Rules Chhattisgarh छत्तीसगढ़ राज्य के मंत्रीगणों और पुलिस के आला अधिकारियों को सामान्य दौरे, निरीक्षण, भ्रमण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने की औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर दिया गया है। गृह विभाग द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के नियमों में संशोधन किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा। उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल पर गृह विभाग ने गार्ड ऑफ ऑनर की औपनिवेशिक काल से चली आ रही परंपरा की समीक्षा करने के उपरांत इसमें संशोधन का आदेश जारी किया है। इसका उद्देश्य पुलिस बल की कार्यक्षमता का उपयोग कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और औपनिवेशिक सोच से जुड़ी परंपराओं को समाप्त करना है।

Guard of Honour Rules Chhattisgarh गौरतलब है कि गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्वयं विभाग के अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर इसमें वर्तमान स्थिति में आवश्यकतानुसार बदलाव करने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में गृह विभाग ने पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त कर उनकी कार्यक्षमता का उपयोग उनके मूल दायित्वों के पालन के लिए यह संशोधन किया है।

सामान्य दौरों में सलामी गारद समाप्त

जारी आदेश के तहत राज्य के भीतर सामान्य दौरों, आगमन-प्रस्थान एवं निरीक्षण के दौरान अब गृहमंत्री, समस्त मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सलामी गारद (गार्ड ऑफ ऑनर) नहीं दिया जाएगा। जिला भ्रमण, दौरे या निरीक्षण के समय पूर्व में प्रचलित सलामी व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है। इससे पुलिस बल का समय और ऊर्जा का प्रभावी उपयोग सुरक्षा, कानून-व्यवस्था तथा जनसेवा के कार्यों में हो सकेगा।

राष्ट्रीय एवं राजकीय आयोजनों में यथावत व्यवस्था

यह प्रतिबंध राष्ट्रीय और राजकीय समारोहों पर लागू नहीं होगा। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), शहीद पुलिस स्मृति दिवस (21 अक्टूबर), राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर), राजकीय समारोहों तथा पुलिस दीक्षांत परेड जैसे अवसरों पर औपचारिक सलामी गारद की व्यवस्था पूर्ववत रहेगी।

संवैधानिक पदों के लिए प्रोटोकॉल जारी

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रोटोकॉल के अनुसार संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों एवं विशिष्ट अतिथियों के लिए सलामी गारद की व्यवस्था पहले की तरह यथावत रहेगी। यह निर्णय शासन की प्रशासनिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता और आधुनिक, जनोन्मुखी व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पुलिस बल की कार्यक्षमता में सकारात्मक सुधार होगा।

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छत्तीसगढ़ में "गार्ड ऑफ ऑनर" के नियमों में क्या बदलाव हुआ है?

अब राज्य के भीतर सामान्य दौरों और निरीक्षण के दौरान मंत्रियों, गृहमंत्री और पुलिस महानिदेशक (DGP) सहित किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) नहीं दिया जाएगा।

यह फैसला लेने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसका उद्देश्य पुलिस बल की कार्यक्षमता को बढ़ाना, औपनिवेशिक (ब्रिटिश काल) की पुरानी परंपराओं को खत्म करना और सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस बल का समय बचाना है।

क्या अब किसी को भी गार्ड ऑफ ऑनर नहीं मिलेगा?

नहीं, संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों (जैसे राज्यपाल, राष्ट्रपति) और विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार सलामी गारद की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।

किन विशेष अवसरों पर सलामी की व्यवस्था यथावत रहेगी?

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), पुलिस स्मृति दिवस (21 अक्टूबर), राष्ट्रीय एकता दिवस और पुलिस दीक्षांत परेड जैसे राष्ट्रीय और राजकीय आयोजनों में यह व्यवस्था बनी रहेगी।

क्या यह नियम पुलिस महानिदेशक (DGP) पर भी लागू होगा?

हाँ, आदेश के अनुसार अब पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी उनके सामान्य दौरों या निरीक्षण के समय सलामी नहीं दी जाएगी।