नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर भारत से आयातित दवा पर 200 प्रतिशत तक शुल्क लागू करते हैं, तो घरेलू दवा उद्योग के पास अमेरिकी बाज़ार के लिए उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। सूत्रों ने यह बात कही है।
ट्रंप ने कहा है कि उनका देश दवा और तांबा आयात पर शुल्क लगाएगा। उन्होंने कहा कि दवाओं पर शुल्क 200 प्रतिशत तक जा सकता है।
उद्योग जगत के एक अधिकारी ने कहा, “यह अभी एक उभरती हुई स्थिति है। हमारा मानना है कि यह (शुल्क) इतना ज़्यादा नहीं हो सकता क्योंकि इससे अमेरिका में खरीदारों की लागत भी बढ़ जाएगी। सबसे बुरी स्थिति में, अगर ऐसा होता है, तो हमें उसी के अनुसार कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि हम कम मार्जिन पर काम करते हैं।”
उन्होंने कहा कि कम मार्जिन पर काम करने वाली छोटी दवा कंपनियों पर भारी दबाव पड़ सकता है, जिससे उन्हें विलय या बंद होने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
भारत वर्तमान में अमेरिकी दवाओं पर लगभग 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय दवा पर कोई आयात शुल्क नहीं लगाता है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के उपाध्यक्ष और क्षेत्र प्रमुख दीपक जोतवानी ने कहा कि अमेरिका अधिकांश भारतीय दवा कंपनियों के लिए एक प्रमुख बाजार है, जो उनके कुल राजस्व का 30-40 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, “अमेरिकी प्रशासन द्वारा दवा आयात पर उच्च शुल्क लगाने से भारतीय दवा उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि लागत में कुछ वृद्धि को कंपनियों द्वारा वहन करना पड़ सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय दवा कंपनियां पहले से ही उच्च प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे अमेरिकी बाज़ार में बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाओं का निर्यात करती हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शुल्क लगाने से भारतीय फार्मा निर्यात वृद्धि और लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है।
भाषा अनुराग अजय
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