नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) देश का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार वर्ष 2030 तक 1,00,000 से 1,20,000 अरब रुपये तक हो जाने की संभावना है। हालांकि इसके लिए कुछ संरचनात्मक सुधार और संस्थागत क्षमता निर्माण की जरूरत होगी। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।
नीति आयोग की कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार पर बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में, भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 17,500 अरब रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 53,600 अरब रुपये का हो गया। इसमें लगभग 12 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘नीतियों पर लगातार ध्यान, प्रौद्योगिकी के स्तर पर नवोन्मेष और एकसमान नियमन के साथ भारत का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में 2030 तक 1,00,000–1,20,000 अरब रुपये से ज्यादा होने की क्षमता है। यह भारत की वित्तीय प्रणाली का एक अहम स्तंभ बन जाएगा, जो घरेलू और वैश्विक पूंजी को उत्पादक क्षेत्र की ओर ले जाएगा और विकसित भारत 2047 के लिए देश के दीर्घकालीन वृद्धि को समर्थन देगा।’’
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पिछले दस साल में, भारत ने अपने बॉन्ड बाजार के बुनियादी ढांचे और नियामकीय रूपरेखा को बढ़ाने में काफी प्रगति की है। लेकिन दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत ने अभी तक अपनी बड़ी क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया है।
अब यह बाजार जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का लगभग 15 से 16 प्रतिशत है, जो काफी सुधार है। हालांकि यह अभी भी दक्षिण कोरिया, मलेशिया या चीन जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करने के लिए बाजार बुनियादी ढांचा, जोखिम प्रबंधन उपाय, निवेश विविधीकरण और क्रेडिट बढ़ाने के तरीकों में लगातार सुधार की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि इन सुधारों को और मजबूत करने से न सिर्फ निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, बल्कि वित्तीय विकास को समावेशी, टिकाऊ और प्रौद्योगिकी आधारित वृद्धि के रणनीतिक लक्ष्यों के साथ जोड़ेगा।
भाषा रमण प्रेम
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