नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के बीच भारतीय कृषि-प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप के निवेश में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बढ़ती अनिश्चितता के बीच निवेशकों का अधिक सावधान रहना माना जा रहा है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
परामर्श कंपनी एफएसजी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 से 2023 के बीच वैश्विक स्तर पर कृषि-प्रौद्योगिकी निवेश में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।
एफएसजी को वित्त वर्ष 2024 में भी निवेश में गिरावट आने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 में इसके बढ़ने की संभावना है। उसे उम्मीद है कि स्टार्टअप अगले वित्तीय वर्ष से निपटने के लिए लाभ बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ निवेशकों के सतर्क रहने और अपने सीमित कोष को स्थापित व्यवसाय मॉडल में लगाने की संभावना है…’’
कंपनी के प्रबंधक निदेशक (एशिया प्रमुख) ऋषि अग्रवाल ने कहा, ‘‘ निवेश की गतिशीलता में बदलाव वैश्विक आर्थिक रुझानों के प्रति भारतीय कृषि-प्रौद्योगिक क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर करता है। स्टार्टअप को अपने व्यवसाय मॉडल को परिष्कृत करने और लाभप्रदता की ओर बढ़ने के लिए इस धीमी निवेश अवधि का इस्तेमाल करना चाहिए।’
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