INDORE WATER NEWS/ image source: IBC24
Indore Water Contamination: इंदौर: इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से हुई मौतों और दर्जनों लोगों के बीमार होने के मामले ने पूरे शहर में चिंता बढ़ा दी है। 28 दिसंबर से शुरू हुए इस संकट में पांच लोगों की मौत की खबर सामने आई है, जिनमें नंदलाल पाल (75), उर्मिला यादव (69), उमा कोरी (31), मंजुला पति दिगंबर (74) और सीमा प्रजापत शामिल हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने अभी तीन मौतों की पुष्टि की है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मृतकों में नंदलाल पाल, उर्मिला यादव और तारा कोरी शामिल हैं, जिनकी मौत डायरिया से हुई।
Indore Water Contamination: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भागीरथपुरा का दौरा करेंगे और पीड़ित परिवारों व मरीजों से सीधे मुलाकात करेंगे। केबिनैट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी पुष्टि की है। बताया गया है कि सीएम को पूरे मामले की हर एक जानकारी सांझा की गई है और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जांच में यह भी सामने आया है कि छह महीने पहले ड्रेनेज लाइन का टेंडर हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अब तक जारी नहीं किया।
Indore Water Contamination: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेते हुए देर रात जोनल अधिकारी शालिग्राम शितोले और प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर (पीएचई) योगेश जोशी को निलंबित कर दिया है। साथ ही प्रभारी डिप्टी इंजीनियर (पीएचई) शुभम श्रीवास्तव की सेवा समाप्त कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए की सहायता राशि देने की भी घोषणा की है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की समिति बनाई गई है, जिसमें आईएएस नवजीवन पंवार अध्यक्ष होंगे। समिति में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर प्रदीप निगम और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय भी शामिल हैं।
भागीरथपुरा में चौकी के पास शौचालय के नीचे मेन लाइन में लीकेज मिलने के कारण पानी दूषित हुआ था। केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इलाके का दौरा किया और अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल जाना। उन्होंने कहा कि इलाके से 70 से ज्यादा पानी के सैंपल लिए गए हैं और सभी मरीजों का इलाज सरकार के खर्च पर होगा। जिन लोगों ने पहले पैसे जमा किए थे, उन्हें रिफंड भी मिलेगा। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि जो भी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Indore Water Contamination: भागीरथपुरा में पानी की नई पाइपलाइन के लिए अगस्त 2025 में टेंडर जारी हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अब तक लागू नहीं किया। करीब 2.40 करोड़ रुपए की लागत वाली यह पाइपलाइन अब मृतकों की घटनाओं के बाद जल्दबाजी में शुरू की गई है। इस त्रासदी के कारण मेडिकल शॉपों में उल्टी-दस्त और बुखार की दवाइयां खत्म हो गईं और दुकानों को तुरंत नई दवाइयां मंगानी पड़ीं। इस पूरे मामले ने शहर के लोगों में गहरी चिंता और प्रशासनिक जवाबदेही की मांग बढ़ा दी है।