महामारी के बावजूद जानबूझकर कर्ज न चुकाने के मामलों में हल्की कमी: ट्रांसयूनियन सिबिल

महामारी के बावजूद जानबूझकर कर्ज न चुकाने के मामलों में हल्की कमी: ट्रांसयूनियन सिबिल

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 PM IST
,
Published Date: June 30, 2021 12:32 pm IST
महामारी के बावजूद जानबूझकर कर्ज न चुकाने के मामलों में हल्की कमी: ट्रांसयूनियन सिबिल

मुंबई, 30 जून (भाषा) ट्रांसयूनियन सिबिल के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बावजूद विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले) की संख्या में कमी हुई और वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में ऐसे मामलों के तहत बकाया राशि 1.90 प्रतिशत घटकर 2.11 लाख करोड़ रुपये रह गई।

साख सूचना कंपनी ने कहा कि बैंकों द्वारा जानबुझकर कर्ज न चुकाने वालों के रूप में चिन्हित 25 लाख रुपये से अधिक के खातों की संख्या इस साल 31 मार्च तक घटकर 10,898 रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 12,242 थी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की परिभाषा के मुताबिक जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाला उसे कहा जाता है जो क्षमता होने के बावजूद कर्ज नहीं चुकाता है। कोई व्यक्ति एक बार विलफुल डिफॉल्टर घोषित हो जाने के बाद किसी भी बैंक से धन नहीं पा सकता है।

सरकार और आरबीआई ने महामारी को देखते हुए तनावग्रस्त खातों के लिए कई सुविधाओं की घोषणा की थी, जिनमें गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किए जाने पर छह महीने की मोहलत और दिवालियापन कानूनों का निलंबन शामिल है।

एसबीआई में इस तरह के कुल 1,801 खाते थे, जबकि इससे एक साल पहले यह संख्या 1,640 थी। समीक्षाधीन अवधि में बकाया राशि 44,682 करोड़ रुपये से बढ़कर 67,000 करोड़ रुपये हो गई।

हालांकि, राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए ऐसे खातों की संख्या 8,781 से घटकर 7,418 रह गई और इस दौरान कुल बकाया राशि भी 1.44 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले घटकर 1.18 लाख करोड़ रुपये थी।

निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में विलफुल डिफॉल्टर खातों की संख्या 1,658 से घटकर 1,514 रह गई। हालांकि इस दौरान बकाया राशि 20,741 करोड़ रुपये से बढ़कर 22,867 करोड़ रुपये हो गई।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)