एनसीएलएटी ने जंबो फिनवेस्ट के खिलाफ दिवालिया याचिका खारिज की

एनसीएलएटी ने जंबो फिनवेस्ट के खिलाफ दिवालिया याचिका खारिज की

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  • Publish Date - December 27, 2025 / 05:48 PM IST,
    Updated On - December 27, 2025 / 05:48 PM IST

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी ने जंबो फिनवेस्ट के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने की इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक की अपील खारिज कर दी और इस मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश को बरकरार रखा।

इससे पहले, एनसीएलटी की जयपुर पीठ ने जंबो फिनवेस्ट के खिलाफ दिवाला याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा कि जंबो फिनवेस्ट दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) की धारा 3(17) के अनुसार एक वित्तीय सेवा प्रदाता है और यह वह कॉरपोरेट व्यक्ति नहीं है जिसके खिलाफ धारा सात का आवेदन शुरू किया जा सके।

इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक ने इस निर्णय को एनसीएलटी में चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि जंबो फिनवेस्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में एक वित्तीय सेवा प्रदाता के रूप में पंजीकृत है।

बैंकिंग नियामक ने 16 जनवरी, 2020 को इसे अपनी बैलेंस शीट बढ़ाने से रोक दिया और सार्वजनिक निधियों तक किसी भी रूप में पहुंच और ऋण देने पर रोक लगा दी।

बैंक का तर्क था कि आरबीआई के आदेश के अनुसार, जंबो फिनवेस्ट वास्तव में वित्तीय सेवा प्रदाता के व्यवसाय में नहीं है, और इसलिए संहिता में निहित सुरक्षा इस मामले पर लागू नहीं होती।

हालांकि, एनसीएलटी ने कहा कि आरबीआई के प्रतिबंध आदेश के बावजूद जंबो फिनवेस्ट का वित्तीय सेवा प्रदाता का स्वरूप और स्थिति समाप्त नहीं होती।

एनसीएलटी ने यह भी उल्लेख किया कि जंबो फिनवेस्ट का पंजीकरण 14 अक्टूबर को रद्द किया गया था, जिसका मतलब है कि इस तारीख तक यह पंजीकृत वित्तीय सेवा प्रदाता ही था।

एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा, ”हमारा मत है कि संहिता की धाराएं लागू होंगी और वित्तीय सेवा प्रदाता के खिलाफ कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) आरंभ करने की प्रक्रिया संहिता के अनुसार की जानी चाहिए।”

वित्तीय सेवा प्रदाता (एफएसपी) जैसे एनबीएफसी, बैंक और बीमाकर्ता प्रारंभ में कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के दायरे से बाहर थे, लेकिन बाद में विशेष प्रावधानों के तहत उन्हें इसके दायरे में लाया गया।

भाषा योगेश पाण्डेय

पाण्डेय