नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) कारों के लिए जंग-रोधक उपायों के मामले में घरेलू और निर्यात बाजारों में बराबरी की जरूरत है। उद्योग विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।
इस समय भारत में जो वाहन निर्यात के लिए बनाए जाते हैं, उन्हें घरेलू बाजार में बेची जाने वाली कारों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत जंग-रोधक सुरक्षा मिलती है।
विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में बनी और यूरोप, जापान, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका भेजी जाने वाली कारों में आमतौर पर 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा परतदार इस्पात (गैल्वेनाइज्ड स्टील) होता है और इन पर 6-12 साल की जंगरोध की वारंटी होती है।
इसके उलट, भारत में बिकने वाली ज्यादातर कारों में बहुत कम परतदार इस्पात (गैल्वेनाइज्ड स्टील) होता है और लगभग कोई जंगरोध की वारंटी नहीं होती।
उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि जंग से देश को हर साल जीडीपी का लगभग पांच प्रतिशत या 100 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है। इससे गाड़ियां, आधारभूत ढांचा और औद्योगिक प्रणाली प्रभावित होते हैं।
आम कार मालिकों के लिए कुछ मानसूनों के बीतने के बाद ही इसका असर मरम्मत खर्च बढ़ने, ढांचागत खराबी तेजी से होने और पुनर्बिक्री मूल्य में कमी के रूप में दिखता है।
इस मामले पर इंडिया लीड जिंक डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएलजेडडीए) के कार्यकारी निदेशक एल पुगाजेंथी ने कहा कि जिंक-लेप वाले इस्पात शीट, कार बॉडी को जंग लगने से बचा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्यात की जाने वाली भारतीय कारों में जिंक लेपित स्टील बॉडी होती है। यह फायदा घरेलू कार मालिकों को भी दिया जाना चाहिए। इससे गाड़ी की सुंदरता और नया लुक बना रहेगा।’’
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
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