(शिल्पी पांडे और आशीष अगाशे)
मुंबई, एक मई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने वायदा और विकल्प (एफएंडओ) खंड में भाग लेने के इच्छुक खुदरा कारोबारियों के लिए योग्यता परीक्षण की संभावना को खारिज कर दिया है।
पांडेय ने कहा कि एफएंडओ खंड में कारोबार की मंशा रखने वाले खुदरा निवेशकों की योग्यता को परखने की बात अव्यावहारिक है और यह नियामकीय अतिक्रमण भी कर सकती है।
बाजार नियामक सेबी ने पिछले साल नवंबर में डेरिवेटिव यानी वायदा एवं विकल्प खंड में सौदों में अत्यधिक अटकलबाजी को रोकने के लिए कदम उठाए थे। सेबी ने ये कदम अपने एक अध्ययन के बाद उठाए थे जिसमें पता चला कि 10 में से नौ खुदरा निवेशक एफएंडओ साधनों में लेनदेन के दौरान नुकसान उठाते हैं।
खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव उत्पादों में कारोबार की मंजूरी देने से पहले उनके लिए योग्यता परीक्षण शुरू करने के बारे में उद्योग के सुझाव पर पांडेय ने कहा, ‘फिलहाल हम इनमें से किसी भी बात पर विचार नहीं कर रहे हैं।’
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में ऐसे प्रस्तावों के पीछे व्यावहारिकता और प्रभावशीलता से जुड़ी चिंताओं को रखा।
सेबी प्रमुख ने कहा, ‘सबसे पहले, हमें यह भी देखना होगा कि क्या ऐसा करना नियामकीय अतिक्रमण होगा? क्या आप इसे प्रभावी ढंग से कर पाएंगे?’
उन्होंने स्पष्ट किया कि सेबी के पास पहले से ही विशिष्ट बाजार प्रतिभागियों के लिए प्रमाणन व्यवस्था मौजूद है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास विशिष्ट प्रतिभागियों के लिए व्यवस्था मौजूद है। मसलन, एनआईएसएम प्रमाणन कई लोगों के लिए है। जैसे कि आप एक पंजीकृत सलाहकार या आईए या आरए हैं। लेकिन इसे लाखों खुदरा कारोबारियों पर लागू करना पूरी तरह से एक अलग चुनौती होगी।’
पांडेय ने कहा, ‘कल कोई कहेगा कि अगर आप म्यूचुअल फंड के लिए इसे लागू करना चाहते हैं, तो आपको एक योग्यता परीक्षण करना होगा। तो, इसे कौन लेगा, कैसे लिया जाएगा? इसलिए, हमें इसकी व्यावहारिकता भी देखनी होगी। इस समय हमारे सामने ऐसा कुछ भी नहीं है।’
सेबी प्रमुख ने व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में व्यक्तिगत पसंद की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि लोगों को अपने पैसे के उपयोग का निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
उन्होंने जोखिम लेने की प्रवृत्ति की तुलना सिगरेट पीने की लत से करते हुए कहा कि अगर ‘ट्रेडिंग’ लत बन जाती है, तो यह नशे से मुक्ति का मामला हो जाता है।
पांडेय ने कहा कि व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करना जरूरी है, क्योंकि लोग गलतियों से सीखते हैं और बेहतर बन सकते हैं।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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