‘एनटीपीसी का एकीकृत ऊर्जा उत्पादक कंपनी बनने का लक्ष्य’

‘एनटीपीसी का एकीकृत ऊर्जा उत्पादक कंपनी बनने का लक्ष्य’

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  • Publish Date - January 27, 2021 / 01:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:47 PM IST

नयी दिल्ली/दावोस, 27 जनवरी (भाषा) देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई एकीकृत ऊर्जा कंपनी बनने की दिशा तेजी से कदम बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय खाना पकाने और ठंडा करने समेत अन्य कार्यों के लिये नये स्वच्छ ऊर्जा समाधान पर विचार करने का है।

विश्व आर्थिक मंच के एक सप्ताह तक चलने वाले ‘ऑनलाइन’ दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में स्वच्छ ऊर्जा पर आयोजित एक सत्र में सिंह ने कहा, ‘‘हम अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी हैं। लेकिन हम केवल कोयला आधारित बिजली कंपनी बने रहने के बजाए एक एकीकृत ऊर्जा कंपनी बनने की कोशिश कर रहे हैं।’’

कंपनी ने 2032 तक कुल स्थापित क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता 30 प्रतिशत पहुंचाने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है।

सत्र के दौरान वक्ताओं ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिये नीतियों, गतिविधियों और भागीदारी की जरूरत का उल्लेख किया।

सिंह ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में जो भी प्रगति हो रही है, उसका बड़ा श्रेय भारत सरकार को जाता है। सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और तेजी से अपनाने के लिये लक्ष्य तय किये और अन्य संबंधित क्षेत्रों की पहचान की तथा उस दिशा में उपयुक्त कदम उठाये।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल उन लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं…इसमें इतना खर्च और निवेश शामिल है जिसे किसी देश ने पहले कभी देखा नहीं होगा। इसके लिये सभी प्रकार की पहल, जमीन पर कई कार्य करने की जरूरत है। नीतिगत मोर्चे पर काम करने की आवश्यकता है और सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय उत्पादों पर काम करना है।’’

सिंह ने कहा कि भारत में बिजली क्षेत्र में विदेशी कंपनियों पर कोई पाबंदी नहीं है और वे 100 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं। ‘‘कई कंपनियां आ भी रही हैं।’’

उन्होंने कहा कि उनकी टीम सौर ऊर्जा के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग पर गौर कर रही है। इसमें खाना पकाना और चीजों को ठंडा करने का काम शामिल हैं।

सिंह ने यह भी कहा कि हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनियाम में निवेश के लिये समय आ गया है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर