Cooking Oil Prices Latest Update| Photo Credit: Pinterest
Cooking Oil Prices Latest Update: नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख तथा त्योहारों से पहले मंडियों में आवक बढ़ने के कारण सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सभी तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। मलेशिया एक्सचेंज में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट थी, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज भी दो प्रतिशत से अधिक के नुकसान में था।
मंडियों में सरसों की आवक बढ़ी
बाजार सूत्रों के अनुसार, होली जैसे त्योहार से पहले मंडियों में सरसों की आवक बढ़ी है और इस बार उत्पादन भी कुछ कम हुआ है। इस वजह से सरसो तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई है। हालांकि, सरसों का थोक दाम टूटा है, मगर इसका हाजिर दाम अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से लगभग पांच प्रतिशत कम है। ऐसे वक्त में तिलहन किसानों का उत्साह बढ़ाने के लिए सरकार को आगे आकर MSP पर जल्द से जल्द सरसों खरीद शुरू करना चाहिए।
खुदरा बाजार में तेलों के दाम में कोई नरमी नहीं
बता दें कि, खुदरा बाजार में सरसों, मूंगफली जैसे खाद्य तेलों के दाम में कोई नरमी नहीं है और खुदरा बाजार की इस तेजी के लाभ से देश के तिलहन किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों में गिरावट के बीच मूंगफली सहित सभी तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव है। इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भी गिरावट है। सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज के टूटने से जहां सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली वहीं मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने से पाम-पामोलीन तेल के दाम में भी गिरावट आई।
बिनौला तेल के दाम भी टूटे
बाजार सूत्रों के अनुसार, बड़ी खाद्य मिलें जानबूझकर दाम तोड देती हैं जिससे बाजार मंदी के चपेट में आ जाता है और छोटी मिलें नुकसान में चली जाती हैं। फिलहाल स्टॉकिस्ट सरसों का स्टॉक जमा करने में लगे हैं क्योंकि एक बार सरकारी खरीद शुरू होगी तो फिर इन स्टॉकिस्टों को सरसों सस्ते में नहीं मिल पाएंगे। सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज के मंदा रहने से सोयाबीन के साथ-साथ बिनौला तेल के दाम भी टूट गए। मध्यप्रदेश और गुजरात में कुछ स्थानों पर मिलावटी बिनौला खल का कारोबार बदस्तूर जारी है। स्थानीय तेल संगठनों ने इस पर रोक लगाने और दुधारू मवेशियों को सुरक्षित आहार प्रदान करने की लगातार सरकार से मांग की है जिस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।