पुरानी पेंशन से सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा लाभ, लेकिन आम आदमी को भुगतनी पड़ेगी इसकी कीमत: RBI के पूर्व गवर्नर का बड़ा बयान
old pension scheme latest update: पुरानी पेंशन व्यवस्था की वापसी से आम लोगों की कीमत पर सरकारी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा: डी सुब्बाराव
old pension scheme latest update
old pension scheme latest update
नयी दिल्ली, तीन मार्च । पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से शुरू करने का कुछ राज्यों का फैसला निश्चित रूप से पीछे जाने वाला कदम होगा। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि ओपीएस से आम लोगों की कीमत पर सरकारी कर्मचारियों को विशेषाधिकार मिलेगा, जबकि आम जनता में ज्यादातर के पास कोई विशेष सामाजिक सुरक्षा नहीं है।
अंतिम प्राप्त वेतन के मुकाबले 50 प्रतिशत राशि पाने का हकदार
ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम प्राप्त वेतन के मुकाबले 50 प्रतिशत राशि पाने का हकदार है। ओपीएस को एनडीए सरकार ने एक अप्रैल 2004 से बंद करने का फैसला किया था।
निश्चित रूप से पीछे जाने वाला कदम होगा
सुब्बाराव ने कहा, ”राजकोषीय उत्तरदायित्व के लिए हमारी प्रतिबद्धता और हमारे सुधारों की विश्वसनीयता, दोनों लिहाज से यह निश्चित रूप से पीछे जाने वाला कदम होगा।”
नयी पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है।
उन्होंने कहा, ”ऐसे देश में जहां ज्यादातर लोगों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, वहां निश्चित पेंशन वाले सरकारी कर्मचारी विशेषाधिकार प्राप्त लोग हैं।”
स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और सिंचाई के लिए कम आवंटन
सुब्बाराव ने कहा कि अगर राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटती हैं, तो पेंशन का बोझ मौजूदा राजस्व पर पड़ेगा, जिसका अर्थ है स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और सिंचाई के लिए कम आवंटन।
इन पांच राज्यों में ओपीएस पर वापसी का ऐलान
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार / पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को बता दिया है।
इसके अलावा पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश ने भी ओपीएस पर लौटने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
भारत के बढ़ते चालू खाता घाटे (सीएडी) पर सुब्बाराव ने कहा कि इस साल की शुरुआत में कुछ चिंताएं थीं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में दबाव कम हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा जिंस कीमतों में नरमी के कारण हुआ, जो अपने उच्च स्तर से करीब 15 प्रतिशत तक कम हो गई हैं।

Facebook



